” जीवात्मा परमात्मा का विशुद्ध मिलन ही महारास है ”
भागवत भूषण श्री १००८ श्री मदन मोहन दास जी महाराज ने श्रीमदभागवत कथा में की महाराज की अदभुत व्याख्या
ग्वालियर। शहर के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में 1857 के स्वाधीनता संग्राम के हुतात्मा संतों की आत्मशांति के लिए आयोजित श्रीमदभागवत ज्ञान यज्ञ कथा में भागवत भूषण श्री श्री 1008 श्री मदनमोहनदास जी महाराज ने रविवार को श्री कृष्ण और गोपियों के महाराज की अदभुत व्याख्या की
शाला के महंत पूरन बैराठी पीठाधीश्वर स्वामी राम सेवकदास जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रही श्री मदभागवत कथा में व्यास पीठ से श्री १००८ श्री मदन मोहन दास जी महाराज महारास की कथा का सुन्दर वर्णन किया और बताया कि जीवात्मा ओर परमात्मा का विशुद्ध मिलन ही महारास है उन्होंने बताया की महारास में उन्ही गोपियों को प्रवेश मिला जिनका प्रभु ने चीर हरण आवरण भंग किया था ।
उन्होंने बताया की माया बड़ी प्रबल है। माया का परदा तो जगत्पति परमात्मा के द्वारा हटाया जा सकता है। यह हर किसी की सामर्थ्य नहीं है इसलिए हर किसी जन को प्रभु से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हम पर अपनी कृपा करें ।जैसे गंगा की धारा हिमालय से निकल कर समुद्र में नहीं मिल जाती जब तक उसे चेन नहीं मिलता उसी प्रकार जीवात्मा जब तक परमात्मा को प्राप्त नहीं कर लेता उसे भी चेन नहीं , अतः परमात्मा के प्रेम रूपी मिलन ही महारास है ।
आगे के प्रसंग में उन्होंने कंस वध की कथा सुनाई। भगवान ने कंस का वध करके सभी मथुरा वासियों को भय मुक्त किया। भागवत भूषण मदन मोहनदास जी ने ठाकुर जी के विवाह की सुन्दर कथा सुनाई। भगवान का विवाह भगवती रुक्मणि जी के साथ बड़ी ही धूम धाम से मनाया गया। इस अवसर पर परम पूज्य महंत स्वामी श्री राम सेवकदास महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी जी झांकी का पूजन करवाया। आचार्य रामचन्द्र दास महाराज अशोक शर्मा,राकेश जादौन,मुरली श्रीवास्तव,वी डी दुवे,बुध्दीराम शर्मा,ओ पी शर्मा,श्रीमती ममता कटारे,डाॅ श्रीमती आशालता शर्मा,श्रीमती इंदिरा शर्मा,श्रीमती बवली शर्मा, उदयवीर शर्मा, मौर्य शाह, ऊधम सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।