भारत भी अजब गजब है—- अब इंडिया में ‘ लड्डू पलटिक्स का दौर..

भारत भी अजब गजब है..
अब इंडिया में ‘ लड्डू पलटिक्स का दौर.

कलियुग में सब कुछ बदल रहा है। सियासत भी। अब सियासत में बाक़ी तमाम मुद्दे पीछे चले गए हैं और अब ‘ लड्डू पॉलटिक्स ‘ शुरू हो गयी है । ये पॉलटिक्स तिरुपति में प्रसादम केलिए बनने वाले लड्डुओं में घी के नाम पर चर्बी के इस्तेमाल को लेकर शुरू हुई है। इस मामले में सूप तो सूप छलनियाँ भी बोलने लगीं हैं ,जिसमें की सैकड़ों छेद होते हैं ।
लड्डू पॉलटिक्स में अब टीडीपी वायएसआर पार्टी ही नहीं बल्कि भाजपा और कांग्रेस भी कूद पड़ी है।

दरअसल देश में नेताओं को जब राजनीति के लिए कुछ नहीं मिलता तो वे लड्डुओं तक का इस्तेमाल करने लगते हैं और इस तरह की पॉलटिक्स की शिक्षा भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को भी देना शुरू कर दी है। प्रसादम के लड्डुओं में चर्बी के इस्तेमाल का मुद्दा भाजपा की सहयोगी टीडीपी ने उठाया। टीडीपी की सरकार ने ही लड्डुओं की जाँच एक गुजराती प्रयोगशाला में कराई ,जबकि देश की सबसे बड़ी प्रयोगशाला हैदराबाद में मौजूद थी।
लड्डू पॉलटिक्स के मामले में फांसी और सीबीआई जांच तक की मांग हो गई है. दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के पिछली जगनमोहन रेड्डी सरकार पर मंदिर में प्रसाद में घी की जगह मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलाई जाने के आरोपों के बाद से विवाद जारी है. वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष और आंध्र के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी ने नायडू पर पलटवार करते हुए कहा है कि अपनी सरकार के 100 दिन की नाकामी छुपाने के लिए चंद्रबाबू नायडू भगवान के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। क्योंकि, उनके सभी आरोप निराधार हैं. अब इस मामले में देश भर के संतों में भी नाराजगी देखी जा रही है. संत कह रहे हैं कि आस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते।
आप भी जानते हैं और हम भी की इस देश में जब इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के हत्यारों को फांसी नहीं हो पाती तो लड्डुओं में चर्बी और मछली का तेल मिलाने वालों को क्या ख़ाक फांसी होगी ? हाँ ये तय है की इस मुद्दे पर अब पालटिक्स होगी ,क्योंकि टीटीडी यानि तिरुपति देवस्थानम के पास अकूत सम्पत्ति है। आंध्र प्रदेश की हर सत्ता इस सम्पत्ति का उपभोग करना चाहती है। लड्डू तो एक बहाना भर हैं।
आंध्र प्रदेश में सत्ता बदलते ही 12 जून को ही तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की जांच के नमूने लिए गए थे। जांच रिपोर्ट 23 जून तक तैयार हो गई, लेकिन खुलासा सितंबर में हुआ जब नायडू सरकार के 100 दिन पूरे हुए। जो रिपोर्ट सामने आई उसमें लड्डू बनाने वाले घी में जो चीजें पाई गई थीं, वो बताती थी कि इसमें गाय के शुद्ध घी की जगह अन्य तिलहन और वस्पतियों के अलावा मछली के तेल और अन्य जानवरों की चर्बी हो सकती है। ये जांच नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी के सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड यानी सीएएलएफ लैब में कराई गई थी।
इस सब को जाने दीजिये,क्योंकि लड्डू तो एक बहाना हैं लेकिन असल बात ये है कि देश के राजनितिक दलों के पास जितना पैसा था और है और आगे होगा उससे कई गुना पैसा तिरुपति के बालाजी भगवान के पास है।तिरुपति के बालाजी भगवान ने ये पैसा किसी इलेक्टोरल बांड के जरिये नहीं कमाया बल्कि ये अकूत दौलत देश के अमीर -गरीब भक्तों ने उन्हें स्वेच्छा से भेंट की है। साल 2023 में 773 करोड़ की कीमत का एक हजार 31 किलो सोना भगवान वेंकटेश को चढ़ाया गया. इतना ही नहीं, बालाजी मंदिर का बैंकों में 11 हजार 329 किलो सोना जमा है। मंदिर के नाम से 13 हजार 287 करोड़ रुपए फिक्स डिपॉजिट किया गया है. अप्रैल 2024 तक 18 हजार 817 करोड़ रुपए मंदिर के नाम से बैंक में जमा हो चुका है।टीटी डी ट्रस्ट बोर्ड ने 2024-2025 के लिए कुल 5 हजार 141.74 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है. ये पहली बार है, जब मंदिर का वार्षिक बजट 5,000 करोड़ रुपये के.आंकड़े को पार कर गया है।
लड्डू पलटिक्स के जरिये जहाँ टीडीपी अपने राजनितिक प्रतिद्वंदियों को निबटना चाहती है वहीं भाजपा इनके जरिये अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों से हिसाब बराबर करना चाहती है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात की और प्रसाद की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही जेपी नड्डा ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। सवाल ये है कि क्या इस मामले में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप का अधिकार है ? हर मामले में बिना बोले न रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग कर दी है. वहीं, कांग्रेस ने सीएम नायडू पर सवाल खड़े किए हैं कि तीन महीने तक सीएम ने खुलासा क्यों नहीं किया । अब कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की है ।
गुजरात की अमूल कम्पनी ने इस मामले में अपना नाम आते ही सफाई दी है की अमूल ने कभी भी टीटीडी को घी की आपूर्ति नहीं की । यानि चोर की दाढ़ी में तिनका। लड्डू पलटिक्स में अभी तक माननीय प्रधानमंत्री नहीं बोले है । वे इस समय चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं,वैसे भी वे इस तरह के पचड़ों से दूर रहते हैं ,पास तभी आते हैं जब उन्हें या उनकी सरकार और पार्टी को ऐसे मामलों से कोई लाभ हो । लेकिन लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तिरुपति के लड्डू से जुड़े मामले पर चिंता जताई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि पूरे देश में प्रशासन को धार्मिक स्थलों की पवित्रता की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, ‘तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में प्रसाद के अपवित्र होने की खबरें परेशान करने वाली हैं।
भगवान बालाजी भारत और दुनियाभर में लाखों श्रद्धालुओं के लिए पूजनीय देवता हैं। यह मुद्दा हर श्रद्धालु को आहत करेगा और इस पर गहराई से विचार करने की जरूरत है।’
चूंकि भाजपा की नजर में राहुल गांधी देश के नंबर एक आतंकवादी हैं इसलिए उनकी बात सुनेगा कौन ? सवाल ये है कि इस लड्डू पॉलटिक्स का अंत क्या होगा ? क्या जगंमोहहं रेड्डी जेल जायेंगे ?
क्या आईएनडीआईए पर इन लड्डुओं के बहाने देश में हो रहे विधानसभा चुनावों में हमले किये जायेंगे ? या सचमुच देश की जनता की आस्थाओं और जन स्वास्थ्य के प्रति खिलवाड़ को रूकने के लिए राजनीति से ऊपर उठकर कोई कार्रवाई की जाएगी ? मुमकिन है कि मामले का लाभ लेने के लिए राज्य सरकार इस मामले की सीबीआई जाँच के लिए अपनी सहयोगी केंद्र सरकार को खत लिख दे..
मुमकिन है कि केंद्र सरकार इस जाँच की आड़ में कांग्रेस और कांग्रेस के सहयोगी जगन मोहन रेड्डी को जेल भेजने की तैयारी करे ,लेकिन कोई भी इस बात की गारंटी नहीं दे सकता कि भविष्य में प्रसादम के लड्डूओं में किसी चर्बी या मछली के तेल युक्त देशी घी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
टीटीडी के पास इतनी दौलत है कि वो चाहे तो अपने यहां आपूर्ति किये जाने वाले घी,बेसन,मेवों की जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की लैब स्थापित कर ले ,लेकिन वो भी ऐसा शायद ही करे ,क्योंकि उसने भी सब कुछ भगवान व्यंकटेश के भरोसे छोड़ दिया है। होगा वही जो पॉलटिक्स तय करेगी । भगवान और भक्त इसमें कुछ नहीं कर सकते।
क्योंकि राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली ,भोपाल और बनारस में मुकदमा दर्ज करना जितना आसान है उतना प्रसादम में चर्बी युक्त घी सप्लाई करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना कठिन है।
@ राकेश अचल

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