प्रकोप बढ़ा —डेंगू से बचाव व नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी..

सावधानी बरतकर हम बच सकते हैं डेंगू एवं अन्य मच्छरजनित बीमारियों से..

डेंगू से बचाव व नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी..

ग्वालियर / जिले में हाल ही में पाए गए डेंगू मरीजों को ध्यान में रखकर प्रभारी कलेक्टर श्री विवेक कुमार के निर्देश पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा डेंगू व मच्छरजनित अन्य बीमारियों से बचाव के लिये उपयोगी एडवायजरी (सलाह) जारी की गई है। इस एडवायजरी के माध्यम से जिलेवासियों को मच्छरों से बचाव के लिये उपयोगी सुझाव दिए गए हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने एडवायजरी जारी कर जिलेवासियों को सचेत किया है कि वर्षाकाल के दौरान हमारे घर व आसपास तथा छतों पर विभिन्न प्रकार के पानी से भरे पात्र खुली अवस्था में पडें रहने वाले पात्र लार्वा व मच्छरों के पनपने का सबसे बड़े स्त्रोत बन हाते हैं। इनकी रोकथाम के लिए ऐसे समस्त जलपात्रों में भरा पानी शीध्र खाली करें व नियमित रुप से 7 दिवस के भीतर जलपात्रों में भरा पानी खाली करें।
डेंगू के प्रसार को रोकने व बचाव के लिये अपने घर व आसपास अनावश्यक पानी जमा नही होने दें। अनुपयोगी जलपात्रों को का पानी नहीं बदल सकते उनमें मिटटी का तेल व खाने का तेल व गांडियों से निकला ऑयल डालने से मच्छर के लार्वा व प्यूपा नष्ट हो जाते है।
खुले व घर के भीतर रखीं पानी की टंकी, टायर, गमले, कूलर, मिटटी के दिये, छत के गड्डे, मटके, पाइप, मनी प्लांट के पॉट, प्लास्टिक की बोटल, कप, गिलास, टूटा फुटा सामान व खिलौने, कनस्तर इत्यादि सामान में भरा पानी मच्छरों के पनपने के प्रमुख स्थान व ब्रीडिंग सोर्स है। इनमें मच्छर अण्डे देते हैं और 2-3 दिवस में लार्वा निकलता है। साथ ही 3-4 दिन बाद प्यूपा में बदलकर 3 दिन बाद मच्छर बनकर उड जाता है। इस प्रकार 7 से 12 दिवस के भीतर मच्छर अपना उत्पत्ति चक्र साफ व रुके पानी में पूर्ण करते हैं।

दिन में काटता है डेंगू का मच्छर व 400 मीटर के दायरे में रहता है सक्रिy..

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने बताया कि डेंगू का मच्छर सामन्यतः दिन में काटता है व उत्पत्ति स्थल के 400 मीटर के दायरे में सक्रिय रहता है तथा घरों में नमी व अंधेरे वाले स्थानों में छुपकर विश्राम करता है। एडीज मच्छर डेंगू मरीज को काटने पर संक्रमित होकर अन्य स्वस्थ्य व्यक्तियों को काटकर डेंगू बीमारी का प्रसार करते है। और स्वस्थ्य व्यक्ति डेंगू से बीमार हो जाते है।

डेंगू के लक्षण…
डेंगू संक्रमित व्यक्ति को प्रारम्भिक लक्षण जैसे – कमजोरी, तेज बुखार, सिर व हाथ पैर में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसके पश्चात मरीज के शरीर व आंखों में रक्त के चकत्ते दिखना या नाक, मसूडे, या अन्य स्थान से रक्तस्राव होने व उल्टी के लक्षण दिखायी देते है। उपचार में विलम्ब से बीमारी की गंभीरता में मरीज को चक्कर आना, मूर्छित होना, या सॉक में चले जाने की स्थिति बन सकती है। इसलिए ऐसे लक्षण होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से परामर्ष लेकर उचित उपचार लेना चाहिये।

बिना चिकित्सीय परामर्श के दर्द की दवा का सेवन न करें..

डेंगू के लक्षण पाये जाने पर बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा विशेषकर दर्द निवारक दवा का सेवन नहीं करना चाहिये। इससे मरीज गंभीर भी हो सकता है। इसलिए चिकित्सक से परामर्श उपरान्त ही उचित उपचार लेने की सलाह दी गई है। बुखार होने पर पैरासीटामोल की दवा (उम्रानुसार उचित मात्रा में) ली जा सकती है। डेंगू होने पर डरने व घबराने की अनावश्यक नहीं है अनावश्यक दवाओं व भ्रांतियों से बचें व चिकित्सक अथवा अस्पताल में उचित उपचार लेवें।

जिला चिकित्सालय व मेडीकल कॉलेज में नि:शुल्क जाँच की सुविधा ..

जिले में डेंगू व चिकुनगुनिया की जांच जिला चिकित्सालय मुरार व मेडीकल कॉलेज ग्वालियर में निःशुल्क की जाती है। संभावित रोगियों को तत्काल अपनी जांच कराने की सलाह दी गई है। समय पर डेंगू संक्रमण की पहचान हो जाने से जल्द उपचार मिल जाता है और रोगी पूर्णत: स्वस्थ हो जाता है।

डेंगू की पुष्टि होने पर यह लें भोजन में..

जांच में डेंगू की पुष्टि होने पर मरीज को पूर्ण उपचार के साथ फलों का रस, नारियल पानी, दाल का पानी, ओआरएस का घोल व पानी पर्याप्त मात्रा में पीने से शीघ्र लाभ मिलता है।

बचाव के लिये यह सावधानियाँ बरतें–
मच्छरों से बचाव के लिये हमें पूरे बांह के कपडे पहनना चाहिये।, दिन में मास्क्यूटो रिपेलेंट व मच्छररोधी क्रीम/अगरबत्ती का उपयोग कराना चाहिये तथा सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिये।
डेंगू से बचाव की जानकारी आपस में अपनी परिवार, मित्रों, रिश्तेदारों व सोसाइटी को भी बताएँ, जिससे सभी जन स्वयं अपने घर व आसपास डेंगू फेलाने वाले एडीज मच्छर की उत्पत्ति को राकने में अपना सहयोग दे सकें। डेंगू की जानकारी व जन सहयोग से डेंगू के प्रसार को रोका जा सकता है।

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