संगीत नगरी के कोने—कोने में दुर्लभ वाद्यों के स्वर—ताल की अनुगूंज, गजल की पेशकश से संगीत समागम के 100वें उत्सव का आवाह्न..
*तानसेन शताब्दी समारोह की पूर्व संध्या पर दुर्लभ वाद्यों की प्रस्तुति, “ग़मक” में श्री चंदन दास ने घोले मौसिकी के रंग*
*भोपाल।* मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के लिए जिला प्रशासन — ग्वालियर, नगर निगम ग्वालियर के सहयोग से उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी, भोपाल द्वारा विश्व संगीत समागम “तानसेन समारोह” उत्सव के 100 वर्ष के अन्तर्गत शनिवार की शाम विशेष संगीत संध्या अंतर्गत ग्वालियर के 10 प्रमुख स्थलों पर 10 दुर्लभ वाद्यों का वादन हुआ। संगीत नगरी इन दुर्लभ वाद्यों की अनुगूंज से सुरमई हो उठी और सुर — ताल के इस पांच दिनी उत्सव का उद्घोष हो गया।
*महारुद्र मंडल संगीत महाविद्यालय*
दुर्लभ वाद्य वादन की श्रृंखला में महारुद्र मंडल संगीत महाविद्यालय में संतूर के तारों से निकली धुनों ने श्रोताओं पर तिलिस्म किया। सुप्रसिद्ध संतूर वादक सुश्री श्रुति अधिकारी, भोपाल ने यहां राग किरवानी पर तार छेड़े। आपने इस राग को आलाप एवं जोड़ से विस्तार दिया। इसके बाद रूपक ताल, तीन ताल और एक ताल में गत की प्रस्तुति दी। आपके साथ तबले पर श्री संगीत अग्निहोत्री, इंदौर ने तबला संगत दी।
*राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय*
यहां एक ऐसे वाद्ययंत्र का वादन हुआ, जो बंदूक की नाल से निःश्रृत हुआ है। “नालतरंग” जिसे उस्ताद अलाउद्दीन खां ने रचा था। मैहर बैंड का यह वाद्य जिसकी कर्णप्रिय धुनों से ग्वालियर की आबो—हवा में रस घोला श्री सौरभ चौरसिया ने। उन्होंने हृदय को रंजित और झंकृत कर देने वाला दुर्लभ राग पदम् रंजनी प्रस्तुत किया। उनके साथ हारमोनियम पर श्री गुणाकर सावले, तबले पर कमलकिशोर माहोर और सरोद पर बृजेश द्विवेदी ने संगत दी।
*शंकर गंधर्व महाविद्यालय*
मध्य प्रदेश और सरोद का पुराना और गहरा नाता रहा है। उस्ताद अलाउद्दीन खां, उस्ताद हाफिज अली खां, उस्ताद अमजद अली खां जैसे विश्वविख्यात सरोद वादक मध्य प्रदेश से हुए हैं। तानसेन शताब्दी समारोह के अवसर पर श्री हिमांशु सैनी, मैहर का सरोद वादन हुआ। उन्होंने राग पहाड़ी पर आधारित सरोद वादन किया। उनके साथ ऋषभ त्रिपाठी ने तबला संगत दी।
*गंगादास की बड़ी शाला*
यहां अब्दुल सलाम नौशाद का क्लेरोनेट वादन हुआ। उनकी प्रस्तुति राग जोग में निबद्ध थी। उन्होंने अति विलंबित एक ताल में, अति द्रुत तीन ताल में प्रस्तुत की। इसके बाद राग बागेश्री और राग पीलू भी प्रस्तुत की।
*तानसेन कला वीथिका*
यहां पखावज की थाप ने संगीत प्रेमियों को आत्मिक आनन्द प्रदान किया। छतरपुर के पंडित अवधेश द्विवेदी एवं अनमोल द्विवेदी ने सर्वप्रथम चार ताल से अपनी प्रस्तुति का शुभारम्भ किया। इसके बाद मध्य लय में गणेश वंदना, शिव वन्दना, राघव वंदना और रहस बिहार नृत्यांगी छंद की प्रस्तुति दी|
*टाउन हॉल*
यहाँ श्री सतीश खानवलकर एवं अमरीश कालेले की मोहनवीणा जुगलबंदी का रसास्वादन संगीत प्रेमियों ने किया| उन्होंने राग पूरिया कल्याण में प्रस्तुति दी| उनके साथ श्री रामेन्द्र सिंह सोलंकी ने तबला संगत की.
*हस्सू हद्दू खाँ सभागार*
यहाँ दिल्ली की रुद्रवीणा वादक सुश्री शारदा मुष्टी ने रुद्रवीणा वादन किया. उन्होंने अपनी प्रस्तुति के लिए राग भीमपलासी का चयन किया. उन्होंने आलाप जोड़ झाला से राग को विस्तार देते हुए चौताल और सूलताल में बंदिश प्रस्तुत की. उनके साथ पखावज पर श्री धवल मिस्त्री ने संगत दी.
*द्वारकाधीश मंदिर*
यहाँ दुर्लभ वाद्य सुरबहार की धुनों ने संगीत प्रेमियों का मन मोह लिया। यहां इन धुनों को प्रस्तुत करने उपस्थित थे श्री भूषण कोष्ठी। आपने राग भीमपलासी में अपनी प्रस्तुति दी। आपके साथ आपके साथ पखावज पर श्री विवेक नंद कुरंगले ने संगत दी।
*दत्त मंदिर*
दत्त मंदिर के दिव्य वातावरण में शनिवार की शाम महाराष्ट्र के वाद्य सुंदरी की धुन गूंजी। यहां श्री भीमन्ना जाधव ने सुंदरी वादन की प्रस्तुति दी। उन्होंने राग भीमपलासी का चयन किया। श्री जाधव ने मिश्र धुन, मीरा भजन एवं दत्त भजन की धुन प्रस्तुत कर सभी को आत्मिक आनन्द में डुबा दिया। उनके साथ तबले पर श्री मनोज पाटीदार ने संगत दी।
*शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय*
यहां सुश्री अर्पिता शर्मा ने रुद्रवीणा की प्रस्तुति से वातावरण को सुरमई कर दिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के राग यमन का चुनाव किया। उनके साथ पखावज पर श्री जगतनारायण ने संगत दी।
*पूर्वरंग “ग़मक” में श्री चंदन दास का गजल गायन*
पांच दिवसीय संगीत समागम तानसेन शताब्दी समारोह के आव्हान स्वरूप संस्कृति विभाग द्वारा शनिवार की शाम इंटक मैदान, ग्वालियर में सुगम—उप शास्त्रीय संगीत केंद्रित सभा “ग़मक” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गजल की दुनिया के सुप्रसिद्ध गायक श्री चंदन दास एवं साथी, मुम्बई की गजल गायन की सभा आयोजित हुई। इस बहुप्रतीक्षित संध्या के अवसर पर उच्च न्यायालय के जस्टिस श्री जी.एस. अहलूवालिया विशेष रूप से उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि के रूप में संभागायुक्त, ग्वालियर श्री मनोज खत्री उपस्थित रहे। साथ ही संचालक, संस्कृति श्री एन.पी. नामदेव उपस्थित रहे। अतिथियों द्वारा कार्यक्रम का शुभारम्भ पारंपरिक रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। अतिथियों ने कलाकारों का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
गजल गायन का शुभारम्भ करने से पूर्व श्री चंदन दास ने कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली अनुभव कर रहा हूं कि तानसेन शताब्दी समारोह का हिस्सा बन पाया। उन्होंने बिना वक्त गंवाए खूबसूरत शाम में मौसिकी के रंग घोलना शुरू कर दिया। सबसे पहले उन्होंने मोहब्बत की बात करते हुए इस तरह मोहब्बत की शुरुआत कीजिए…. गजल प्रस्तुत की। इसके बाद कभी तो आसमान से चांद उतरे जाम हो जाए…. गजल से गजल प्रेमियों को अपनी सुरीली आवाज और लफ्जों के तिलिस्म में बांध दिया। इसके बाद इधर जिंदगी का जनाजा उठेगा, उधर जिंदगी उनकी दुल्हन बनेगी…. गजल से गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। गीत गजल के इस सिलसिले ने श्री चंदन दास और श्रोताओं के बीच एक जज्बाती रिश्ता कायम कर दिया। वायलिन और तबले के सवाल—जवाब ने भी श्रोताओं को खूब रोमांचित किया। इसके बाद उन्होंने न जी भर के देखा न कुछ बात की…. गजल पेश की। गजलों—शेर—शायरियां—फरमाइशों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। श्री चंदन दास के साथ तबले पर श्री अरशद खां, वायलिन पर श्री अलीम खान, की बोर्ड पर श्री सुधीर सिन्हा और गिटार पर श्री रतन प्रसन्ना ने संगत दी।
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