*भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने EX PM अटल जी के साथ बिताए हुए पलों को किया साझा*
*अटल जी ने कहा था की चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण होना चाहिए और विद्यार्थी शक्ति रचनात्मक होनी चाहिए सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं -वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगदीश तोमर*
ग्वालियर । भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी समारोह के तहत शुक्रवार को जिलाध्यक्ष श्री जयप्रकाश राजौरिया ने जिला एवं मंडल टोली के साथ उनकी स्मृतियों को ग्वालियर पूर्व विधानसभा के पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल के दीनदयाल नगर में निवासरत जगदीश तोमर तथा ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के अटल विहारी वाजपेयी मंडल के भारत टॉकीज, शिंदे की छावनी में निवासरत वरिष्ठ साहित्यकार श्री शैवाल सत्यार्थी ने उनके साथ बीते हुए ऐतिहासिक पलों को भारत रत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी समारोह की जिला एवं मंडल टोली के साथ में अपने अनुभवों सहित उनकी यादों को साझा किया।
इससे पूर्व जिलाध्यक्ष जयप्रकाश राजौरिया एवं जिला महामंत्री विनोद शर्मा, जिला संयोजक श्री धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह ने जिला एवं मंडल टोली के साथ वरिष्ठजनों का शाल श्रीफल पहनाकर उनका स्वागत किया।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगदीश तोमर ने श्रद्धेय अटल जी को याद करते हुए बताया कि सबसे पहले मेरी मुलाकात अटल जी से 1957 में हुई, जब मैं विद्यार्थी था और विक्टोरिया कॉलेज का अध्यक्ष था। तब हम उनके शिंदे की छावनी स्थित निवास पर गए, हमने उनसे कहा कि हमें विद्यार्थियों के बीच कार्यक्रम को संबोधित करना है और आपका सम्मान करना है। उस समय कांग्रेसी वातावरण था , उस समय प्राचार्य श्री अभ्यंकर जी थे। तब उन्होंने अपने उद्बोधन में शुरूआत बड़ी रोचक तरीके से की।
उन्होंने कहा इस चुनाव में हमें तीन तरह के अनुभव एक साथ हुए हैं। अटल जी तीन स्थानों से चुनाव लड़े थे। उन्होंने बताया कि एक जगह पर मेरी जमानत जब्त हुई, एक स्थान पर मैं हारा और एक स्थान पर मैं जीता। इस तरह की बात को उन्होंने सबके बीच में रखा जिससे वहां उपस्थित सभी लोगों में बड़ा स्फूर्ति का माहौल बन गया था।
इस दौरान अटल जी ने एक प्रसंग बताया कि विद्यार्थी शक्ति किधर, हमने उसकी शुरूआत एक कार्टून से की थी, उन्होंने कहा कि एक अखबार में तीन कार्टून छपे थे।
इन कार्टूनों में विद्यार्थी अपना जुलूस निकाल रहे थे और उसमें तख्तियां लिए हुए थे। उन तख्तियों में वह अपनी मांगें लिखे हुए थे। एक तख्ती में लिखा था नो फीस, दूसरी तख्ती में लिखा था नो क्लास, तीसरी तख्ती में लिखा था नो एक्जाम। उस कार्टून की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि हमारा कर्तव्य क्या है चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण। उस भाषण का यही सारांश था।
अटल जी का कहना था कि विद्यार्थी शक्ति रचनात्मक होनी चाहिए सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं।
*अटल जी ने कहा कि आप साहित्कार ही बने रहे राजनीति में न आएं- श्री शैवाल सत्यार्थी*
वरिष्ठ साहित्यकार श्री शैवाल सत्यार्थी ने एक संस्मरण याद करते हुए बताया कि मैं अटल जी को भैया बोलता था। छोटे होने के नाते तो मैंने कहा कि भैया मैं भी राजनीति में काम करना चाहता हूं, तो उन्होंने कहा क्यों साहित्य से क्या मोह भंग हो गया है, तो मैंने कहा कि साहित्य से क्यों मोह भंग हो सकता है, साहित्य तो जीवन प्राण है, लेकिन आप भी तो राजनीति में है और साहित्यकार भी हैं, कवि हैं, पत्रकार रहे तो उन्होंने कहा कि मैं तुम्हें सलाह नहीं दूंगा कि तुम राजनीति में आओ कि तुम्हें राजनीति में नहीं आना है, तुम्हें साहित्य में ही रहना है। इसलिए आप साहित्कार ही बने रहे राजनीति में न आएं।
वहीं जिला मंत्री डॉ कुलदीप चतुर्वेदी ने भी अटल जी को याद करते हुए उनके साथ बीते संस्करण को बताया और उनके साथ बिताए हुए पलों को भी साझा किया।
इस अवसर पर भारत रत्न श्रद्धे अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी समारोह के संयोजक एवं जिला मंत्री श्री धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा, सह संयोजक श्री अजय महेंद्रु , जिला मीडिया प्रभारी श्री नवीन चौधरी, जिला सोशल मीडिया प्रभारी श्री अरविंद रघुवंशी, मंडल अध्यक्षगण श्री जबर सिंह, श्री कौशलेन्द्र राजावत, पूर्व मण्डल अध्यक्ष श्री मनोज मुटाटकर, मंण्डल टोली के संयोजक श्रीश्रीमती रैशू राजावत, श्री शैंकी भसीन, श्री ट्विंकल शर्मा, श्री मनोज वर्मा, अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।