ग्वालियर। 17 ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट मध्यप्रदेश के लिए शायद एक ऐसी प्रतिष्ठापूर्ण सीट है जो कटीली फांस या गले की हड्डी कही जा सकती है। इस सीट पर वैसे तो सीधा सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच है। लेकिन इस सीट पर अंतिम क्षणों में बीजेपी की ही नेत्री व पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता ने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में अपना पर्चा दाखिल कर दोनो दलों के सारे समीकरण बिगाड़ दिये।
समीक्षा गुप्ता के चुनाव मैदान में उतरने पर न केबल सारे जातीय समीकरण हिलोरे लेने लगे बल्कि राजनैतिक दलों की चूलें भी हिलने लगी है। अब धबराहट व खलबली का माहौल बीजेपी व कांग्रेस दोनों दलों में है। समीक्षा पूर्व में बीजेपी के टिकट की दावेदार थी। वो सीधे सीधे तीन बार के विधायक बीजेपी प्रत्याशी नारायण सिंह कुशवाह को चुनौती दे रही थी। उनका तर्क था कि किसी एक व्यक्ति को सिर्फ इस बिना पर चौथी बार प्रत्याशी नही बनाया जा सकता है कि वो कुशवाह समाज बहुल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। इसी आधार पर कुशवाह को प्रदेश सरकार का केबीनेट मंत्री बनाया गया था।
समीक्षा ने आखिर आखिर में कांग्रेस से टिकट मांगकर एक नया दाव खेला था। लेकिन कांग्रेस ने समीक्षा को टिकट न देकर क्षेत्रीय निवासी व क्षेत्र के लिए नये चेहरे प्रवीण पाठक को मैदान में उतारा है। जो निहायती एक नया चेहरा था। क्योंकि इस सीट पर पहले से ही कांग्रेस के अन्य दावेदार अपनी दावेदारी दिखा रहे थे। उनमे माधौगंज के ठेकेदार बडे आसामी व कांग्रेसी पृष्टभूमि वाले भवानी प्रसाद मुदगल के बेटे किशन मुदगल, पूर्व कांग्रेस पार्षद आनंद शर्मा, रश्मि पवार, पूर्व मंत्री वरिष्ट कांग्रेस नेता भगवान सिंह यादव और पूर्व ब्लाक अध्यक्ष बलराम ढींगरा भी कतार में थे।
लेकिन इस लाइन को छलांग मारते हुए कांग्रेस की सीट का टिकट प्रवीण पाटक ने अपने ऊंचे संपर्कों के कारण लपक लिया। लेकिन भईया टिकट लेना और चुनाव जीतना दो अलग अलग बातें हैं।
अब जब तक सारे समीकरण बैठते राजनैतिक दल कुछ समझते तब तक तो पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने अपने आपको निर्दलीय प्रत्याशी धोषित करते दुए पूरे स्मार्ट तरीके से जनसंपर्क भी शुरु कर दिया। अब सूत्र कह रहे है कि समीक्षा गुप्ता की कांग्रेस के आला नेतृत्व से बात चल रही है। पार्टी समीक्षा को सपोर्ट करने को तैयार है। सूत्र तो यहां तक कह रहे है कि महाराज से उनके खास सियहसालार से समीक्षा के परिजनों व उनकी एक बैठक भी माधव नगर में हो गयी है।
बहरहाल इस तरह की चर्चाओं से कांग्रेस प्रत्याशी की स्थिति कमजोर होती जा रही है। इस तरह की खबरों पर जब तक पूर्ण विराम नही लगेगा तब तक संशय व भ्रम की स्थिति बनी रहेगी। 28 नवंवर के मतदान पर इन चर्चाओं से मतदाता भ्रमित होगा। इसी तरह की चर्चाओं पर बीजेपी खेमे में भी सुगबुहाट है। पार्टी के लोग लगातार समीक्षा से संपर्क कर अंतिम समय तक इस कौशिश में है कि कैसे भी वो पार्टी के अधिकृत प्रत्यशी को समर्थन देकर नारायण की सीट को क्लियर करवा दें। वहीं बासपा का प्रत्याशी भी कांग्रेस व बीजेपी के कुछ परंपरागत वोटों पर सेंध लगाकर दक्षिण के गणित को बिगाड़ रहा है।

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