सत्ता में आते ही कमलनाथ पर हावी हो गए थे *दिग्विजय’ –मोहन सिंह राठौर

सत्ता में आते ही कमलनाथ पर हावी
हो गए थे *दिग्विजय’ –मोहन सिंह राठौर

अदालत में बागी :

ग्वालियर जिला ग्रामीण कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर से प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की बातचीत।

पढ़िए पूरी खबर-

भोपाल। दस साल के शासनकाल में जिन दिग्विजय सिंह को जनता ने नकार दिया था। कमलनाथ सरकार बनने के बाद वे ही सरकार में हावी हो गए, उन्होंने पूरी सरकार को कैप्चर कर लिया। जिन सिंधिया ने सरकार बनाने के लिए सबसे अधिक 171 रैलियां की, चुनाव प्रचार की बागडोर संभाली, उन्हें ही बाद में पूरी तरह अलग-थलग कर दिया।
ऐसी स्थिति में सिंधिया के समर्थन में हम लोगों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी।
यह कहना है पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के विश्वस्त और ग्वालियर जिला ग्रामीण कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर का।
उन्होंने हरिभूमि के सहयोगी न्यूज चैनल आईएनएच के खास कार्यक्रम ‘अदालत में बागी’ में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से ये बातें कहीं।

सवाल : आपको किस बात की नाराजगी थी, जो कांग्रेस पार्टी छोड़ दी?
जवाब : मैं स्व. माधवराव सिंधिया के आशीर्वाद से 1983 में जिला युवक कांग्रेस का उपाध्यक्ष और 1987 में अध्यक्ष बना।
तब से 18 वर्ष स्व. माधवराव के साथ और बाद में 19 साल ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जुड़ा रहा हूं।
2018 में कांग्रेस की सरकार बनने से पहले 15 वर्षों के दौरान कार्यकर्ताओं के साथ लाठियां खार्इं और संघर्ष किया है।
बाद में देखा कि संगठन मृत: प्राय हो गया,
कार्यकर्ताओं की कोई पूछ-परख नहीं रह गई।
जिन ज्योतिरादित्य ने 171 रैलियां कांग्रेस को जिताने की थीं, सरकार बनने के बाद उन्हें न सरकार में न संगठन में उचित सम्मान नहीं मिला।
सिंधिया ने जब वचन पत्र के वादे पूरे करने की बात कही, किसानों, शिक्षकों, बेरोजगारों के हक में लड़ाई लड़ने की बात कही, तो उन्हें अपमानित किया गया।
पार्टी के अंदर पूरी तरह सिंधिया को अलग-थलग कर दिया गया।
जिसके बाद हम सभी लोगों ने मिलकर पार्टी छोड़ने का निर्णय किया..

.. सवाल : जिन मुद्दों पर आप लोगों ने पार्टी छोड़ी, भाजपा में आने के लिए उन्हें क्या अपनी डील में शामिल किया?
जवाब : डील जैसी कोई बात नहीं है। भाजपा में सिंधिया किसी पद के लिए नहीं आए हैं, न कोई मंत्री, विधायक पद के लिए आया है।
ये सारे लोग मन से आए हैं। चाहे उन्हें भाजपा मंत्री बनाए या न बनाए, विधायक का टिकट दे या न दे। हम सब जनता के विकास का संकल्प लेकर भाजपा में आए हैं।

सवाल : आप लोग कठिन परिस्थितियों में मुकाबला करने के बजाय रणछोर क्यों हो गए। क्यों राष्टÑीय स्तर पर अपनी बात नहीं पहुंचाई?
जवाब : हमने सब जगह बात पहुंचाई, सबसे चर्चा की, लेकिन एक कोटरी इतनी हावी हो गई थी कि हमारी कहीं सुनवाई नहीं हुई, न राहुल गांधी की चली। दस साल की सरकार के बाद कांग्रेस के जिन नेताओं को जनता ने नकार दिया था, सिंधिया को आगे करने के बाद जब सरकार बनी तो उन्हीं जनता के नकारे हुए नेताओं ने पार्टी को कैप्चर कर लिया। इसलिए हमें यह कदम उठाना पड़ा।

सवाल : आपके नेता राहुल गांधी और उनके परिवार के बहुत करीबी थे, लेकिन कमलनाथ के मुकाबले में कहां पिट गए, कि सीएम कमलनाथ बने?
जवाब : कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाना तय हुआ, फ्लोर टेस्ट होना था। हम लोगों ने सिंधिया के सामने प्रदर्शन किया, हमारे विधायकों ने कहा कि आपको सीएम नहीं बनाया तो हम फ्लोर टेस्ट में नहीं जाएंगे।
तब सिंधिया ने बहुत नाराजगी से कहा आपका यह तरीका गलत है। मैं गांधी परिवार के बहुत निकट हूं, ऐसा मत करिए।
राहुल गांधी भी कोटरी के शिकार हो गए। उन्होंने 10 दिन में कर्जा माफ न होने पर मुख्यमंत्री बदलने का वादा किया था, लेकिन वो तो छोड़िए प्रदेश अध्यक्ष तक नहीं बदल पाए।
आखिरकार, राहुल गांधी तक को राष्टÑीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा।

सवाल : सरकार का नेतृत्व कमलनाथ कर रहे थे, उनके साथ दिग्विजय सिंह जैसे अनुभवी नेता थे, वे कहां चूक गए कि सरकार बचा नहीं पाए?

जवाब : कमलनाथ, केंद्र में मंत्री थे, लेकिन उनका कार्यक्षेत्र छिंदवाड़ा ही बना रहा। वे पूरे मप्र में नहीं घूमे। दिग्विजय सिंह, 10 साल मप्र के सीएम रहे, लेकिन उनके कामों के बाद जनता ने उन्हें नकार दिया। जब वे समझ गए कि जनता हमें मौका नहीं देगी, तो 10 साल पद न लेने की घोषणा कर दी। 15 साल में प्रदेश में कांग्रेस की संभावना समाप्त होने के बाद पार्टी ने सिंधिया को आगे किया। सिंधिया के चेहरे पर सरकार बनी, लेकिन बाद में वे ही लोग सराकर में हावी हो गए, जिन्हें जनता ने नकार दिया था। दिग्विजय सिंह जो-जो पद नहीं ले सकते थे, उस-उस पद पर योग्य आदमी को बैठने का हमेशा विरोध किया, पूरी सरकार कैप्चर कर ली।

सवाल: जनता ने सिंधिया को क्यों नकार दिया, कि वे सवा लाख वोटों से चुनाव हार गए?

जवाब : लोकसभा के चुनाव में यह बड़ा मुद्दा होता है कि हमारा देश में नेतृत्व कौन करेगा। इस मामले में कांग्रेस का नेतृत्व बहुत कमजोर पड़ा। उसको जनता ने बागडोर सौंपने के लायक नहीं समझा। राष्टÑीय स्तर पर मोदी के समर्थन में लहर बन गई। यह एक बड़ा कारण था सिंधिया के चुनाव हारने का, दूसरा कारण यह था कि जो हमारे कांग्रेस के साथी थे, उन्होंने भी पूरी ताकत लगा दी कि सिंधिया को नहीं जीतना चाहिए।
सवाल : भाजपा में आने के बाद आपके हिस्से में क्या आएगा?
जवाब : भाजपा ऐसी पार्टी है जिसमें किसान-मजदूर व्यक्ति तक कार्यकर्ता बनकर अपनी मेहनत के बल पर देश का प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री तक बन सकता है। जो मेहनत करते हैं, उन्हें भाजपा में अवसर मिलते हैं। मुझे अपनी मेहनत पर भरोसा है और विश्वास है कि पार्टी मेहनताना देगी।

(साभार….)

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