महापौर का धरना अपनी अकर्मण्यता को छुपाने का असफल प्रयास है: bjp अध्यक्ष…
ग्वालिय। भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष श्री अभय चौधरी ने ग्वालियर की महापौर श्रीमती शोभा सिकरवार के धरने को अकर्मण्यता और अक्षमता को छुपाने की नौटंकी बताया है। जो काम महापौर को स्वयं आगे बढ़कर करना चाहिए, उनके लिए दूसरों को दोषी ठहराना चाहती हैं।
वे और उनकी पार्टी प्रदेश सरकार की जनहितैषी नीतियों के चलते स्वयं की पराजय निकट से देख रहे हैं, इसलिए यह प्रोपेगेंडे की राजनीति शुरू की गई है।
श्री चौधरी ने कहा कि महापौर को जब यह खबर लग गई है कि गार्वेज शुल्क के युक्तियुक्तकरण को लेकर शासन की ओर से सकारात्मक पहल की जा रही है, तब वे श्रेय लेने की हल्की राजनीति के तहत धरने जैसे आंदोलन का सहारा ले रही हैं।
उन्होंने कहा कि महापौर नगर की प्रथम नागरिक होती हैं, उन्हें धरना देने की बजाय काम करना चाहिए। जहां तक पानी के बिल माफ करने का मुद्दा है तो उसकी पूरी हकीकत क्या है, यह महापौर के भलीभांति संज्ञान में है। फिर भी वे इस मुद्दे पर भी खुला झूठ बोल रही हैं। महापौर बताएं कि वे मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारों को संपत्तिकर मुक्त कराने की आड़ में कहीं भू माफियाओं को लाभ दिलाना तो नहीं चाहतीं। क्योंकि धार्मिक स्थल तो पहले से ही संपत्तिकर मुक्त हैं। संभवत: ऐसे लोग महापौर और उनके परिवार के संपर्क में हो सकते हैं, जो अपनी संपत्तियों को धार्मिक स्थलों से जोड़कर इसका लाभ लेना चाहते हैं। कर्मचारियों के वेतनमान के मुद्दे पर भी पात्रता रखने वालों के बारे में गाइड लाइन पर कार्य प्रारंभ हुआ है, यह भी महापौर भलीभांति जानती हैं।
श्री अभय चौधरी ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ग्वालियर की महापौर, जो लगातार अज्ञातवास पर चल रही थीं, वे कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए झूठ की पोटली लेकर धरना स्थल पहुंच गई हैं। सच तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र और राज्य सरकारों ने बिजली, पानी, सड़क से लेकर प्रधानमंत्री आवास, आयुष्मान भारत, लाड़ली लक्ष्मी जैसे गरीब कल्याण के जो कार्य किए हैं, उससे कांग्रेस का नेतृत्व घबराया हुआ है। हाल ही में मुख्यमंत्री जी ने नारी सम्मान और उत्थान के लिए लाड़ली बहना योजना की जो सौगात दी है, उसने कांग्रेस के समूल नाश की इबारत लिख दी है। कांग्रेस के विधायक हो, महापौर हो या अन्य नेता हो वे सभी झूठ की दुकान लेकर बैठ गए हैं। लेकिन जनता ने हाल ही में उनके 18 महीने के अत्याचार देखे हैं और समुचित जवाब भी दिया है।
उन्होंने कहा कि महापौर नगर की प्रथम नागरिक होती हैं। उन्हें अपनी गरिमा और संवेदनाओं के साथ नगरवासियों की चिंता करनी चाहिए। लेकिन कैसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि काम करने की जगह ग्वालियर की महापौर प्रोपेगेंडा में विश्वास कर रही हैं।
इससे ज्यादा असंवेदनशील और अमानवीय व्यवहार क्या हो सकता है कि नगर निगम के दो कर्मचारी सीवर के चेंबर में उतरने से दम घुटने से वे अपनी जान गंवा जाते हैं लेकिन महापौर आमनवीय तरीके से मूकदर्शक बनी रहती हैं। हम प्रदेश सरकार के आभारी हैं जिसने त्वरित गति से पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपए की सहायता राशि उपलब्ध कराई, वहीं महापौर की ओर से किसी भी प्रकार की सांत्वना उन परिवार को नहीं दिया जाना खेद जनक है।
श्री चौधरी ने महापौर से पूछा है कि एक वर्ष के कालखण्ड से कहां लापता थीं। उन्होंने पिछले एक वर्ष में नगर के हित में कौन सा एक निर्णय लिया है। जनहित के लिए कौन सी योजना उनके नेतृत्व में नगर निगम ग्वालियर लेकर आया है। यदि उनके पास इन प्रश्नों के उत्तर नहीं है तो यह स्पष्ट है कि महापौर को काम में नहीं नौटंकी में भरोसा है। अच्छा होगा कि वे ग्वालियरवासियों के प्रति गरिमापूर्ण व्यवहार करते हुए जो दायित्व उन्हें सौंपा है, उन्हें पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ें, दूसरे के कामों का श्रेय लेने की हल्की राजनीति करने के परिणाम सदैव अहितकारी ही रहते हैं।
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Post Author: Javed Khan