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Stroke Day–अगर आपका स्क्रीन टाइम 2 घंटे से अधिक है, तो आप भी हो सकते हैं ब्रेन स्ट्रोक का शिकार..

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Stroke Day–

अगर आपका स्क्रीन टाइम 2 घंटे से अधिक है,

तो आप भी हो सकते हैं ब्रेन स्ट्रोक का शिकार..

— आज पूरी दुनिया स्ट्रोक डे मना रही है… इस दौरान स्ट्रोक होने के कारणों का जो खुलासा हुआ है ,उसमें सबसे ज्यादा स्क्रीन टाइम पर रहने वाले लोगों और माइक्रो प्लास्टिक का इस्तेमाल करने के अलावा वायु प्रदूषण और एयर क्वालिटी इंडेक्स को जिम्मेदार बताया गया है। ग्वालियर में स्ट्रोक डे अवसर पर एक्सपर्ट डॉक्टर ने इस बारे में विशेष जानकारी दी है।

– ग्वालियर के एक अस्पताल में स्ट्रोक डे के अवसर पर विशेष जानकारी देकर लोगों को जागरूक किया गया और बताया गया कि आपकी लाइफ स्टाइल के साथ-साथ आपके खान-पान और आपके पास पर्यावरण का आपकी सेहत पर कितना प्रभाव पड़ता है।
डॉ. राजश्रीनिवास पार्थसारथी, सीनियर कंसल्टेंट (न्यूरो-इंटरवेंशन), पारस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम ने स्ट्रोक के तीन सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक जोखिम कारकों के बारे में मीडिया कर्मियों को जानकारी दी।

स्क्रीन टाइम..
आजकल हर उम्र के लोग बहुत अधिक समय मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन पर बिता रहे हैं। अनुशंसित स्क्रीन टाइम दो घंटे या उससे कम होना चाहिए। यदि यह एक घंटे बढ़ता है, तो स्ट्रोक का खतरा लगभग 20% तक बढ़ जाता है। लंबे स्क्रीन टाइम से व्यक्ति निष्क्रिय हो जाता है जिससे मोटापा, हृदयाघात, स्ट्रोक और कैंसर का ख़तरा बढ़ता है। रात में मोबाइल देखने से नींद की समस्या होती है क्योंकि ब्लू लाइट मेलाटोनिन नामक नींद लाने वाले हार्मोन को दबा देती है। इससे अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और आक्रामकता बढ़ती है।

माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक…

माइक्रोप्लास्टिक (1 माइक्रॉन से बड़ा) और नैनोप्लास्टिक (1 माइक्रॉन से छोटा) प्लास्टिक बोतलों और टी-बैग्स में पाया जाता है। जब इन्हें धूप या यूवी लाइट में रखा जाता है, तो ये कण पानी में घुल जाते हैं। एक लीटर पानी में लगभग दो लाख नैनोप्लास्टिक हो सकते हैं। गरम पानी में टी-बैग डालने पर लगभग एक अरब नैनोप्लास्टिक निकल सकते हैं। ये कण रक्तप्रवाह में जाकर धमनियों की परत को नुकसान पहुँचाते हैं, प्लेटलेट्स को सक्रिय करते हैं और स्ट्रोक का खतरा कई सौ गुना बढ़ा देते हैं। यह निष्कर्ष हाल ही में प्रकाशित न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की एक शोध रिपोर्ट से प्राप्त हुआ है।
इसी तरह
वायु प्रदूषण
एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 का अर्थ है, प्रतिदिन लगभग 10 सिगरेट पीना, 300 का अर्थ 20 सिगरेट और 500 का अर्थ 30-35 सिगरेट प्रतिदिन पीने जितना नुकसान। PM 2.5 (2.5 माइक्रॉन आकार के सूक्ष्म कण) शरीर में प्रवेश कर धमनियों की आंतरिक परत में सूजन और थक्के बनाते हैं जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
Face, Arm, Speech, Time के माध्यम से स्ट्रोक के प्रारंभिक लक्षणों व त्वरित चिकित्सा के महत्व के बारे में बताया। डॉ. संतोष त्रिपाठी ने समझायाः अगर किसी व्यक्ति का चेहरा टेढ़ा दिखने लगे, हाथ-पैर में अचानक कमजोरी आए, या बोलने में परेशानी महसूस हो, तो तुरंत अस्पताल पहुँचना चाहिए। हर मिनट की देरी मरीज के मस्तिष्क के लिए हानिकारक हो सकती है। दोनों विशेषज्ञों ने नागरिकों से जागरूक रहने, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानकर त्वरित इलाज प्राप्त करने का आग्रह किया।

बातचीत–

डॉ..राज श्रीनिवास पार्थसारथी,
न्यूरोलॉजिस्ट

ग्वालियर…