मां तुझे सलाम–(-mothers day special.) पानी देने के बजाय बर्डस के नेचुरल हैबिटेट के कंजर्वेशन में लगी एक “मां”.

मां तुझे सलाम,–(-mothers day special.)

पानी देने के बजाय बर्डस के नेचुरल हैबिटेट के कंजर्वेशन में लगी एक “मां”.

700 प्रजातियों के हजारों ”बर्डस” का संरक्षण करने वाली एक “मां”‘ देवयानी हलवे.

ग्वालियर-/ पूरे देश और दुनिया में अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाली मां को अलग-अलग रूप में पहचाना जाता है.. मां तो मां होती है.. चाहे वह बच्चे की परवरिश करे, बेटा या बेटी की परवरिश करे..
लेकिन आज हम आपको एक ऐसी मां से मिलवाने जा रहे हैं..
जो पिछले 7 साल से हजारों बर्डस यानी पक्षियों की जान बचा चुकी है और लगातार इसी अभियान में जुटी रहकर ग्वालियर अंचल और देशभर के जंगलों की खाक छानकर बर्ड्स का जीवन बचाने में लगी हुई है ।
ग्वालियर के सिटी सेंटर सचिन तेंदुलकर मार्ग के पास रामानुजनगर में रहने वाली देवयानी हलवे ने अब अपना जीवन बर्डस यानी चिड़ियों और पक्षियों का जीवन सुरक्षित करने और उनके नेचुरल हैबिटेट यानी प्राकृतिक रहवास को बचाने के लिए लगा दिया है ।
जंगल -जंगल ,प्राकृतिक सैर सपाटे के क्षेत्र पार्क और मॉर्निंग वॉक के पक्षियों के बसेरे वाले स्थान पर पक्षियों और चिड़ियों का जीवन बचाने वाली देवयानी हलवे के पति डी जी हलवे एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी हैं।
लेकिन देवयानी ने अपने घर गृहस्थी की जिम्मेदारियों से हटकर आराम का जीवन बिताने की अपेक्षा पक्षियों और वर्ड्स का जीवन बचाने का जो संकल्प लिया है।
उसके तहत वे ग्वालियर अंचल के अलावा सतपुड़ा, पेच,संजय दुबरी , कान्हा टाइगर रिजर्व और भुसावल जैसे संरक्षित क्षेत्र में बर्डस का सर्वे कर चुकी हैं।
इसी काम की बदौलत उन्हें बर्ड लवर के रूप में पहचान मिली है.. देवयानी हलवे का यह सर्वे कभी व्यक्तिगत रूप से होता है.. तो कभी फॉरेस्ट विभाग के साथ मिलकर जंगल में जीवन यापन करने वाले आदिवासियों और जंगल की पहचान रखने वाले लोगों के साथ होता है..
इसके लिए उन्हें हर रोज 1 दिन में 25 – 25 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। इस सर्वे और खोज में देवयानी हलवे के हाथ में एक कैमरा, वाटर बोटल और एक नोटबुक होती है…
उनका दावा है कि वे अभी तक कुल 700 प्रजाति के बर्ड की पहचान और डाटा तैयार कर चुकी हैं..जबकि ग्वालियर में भी 200 से ढाई सौ प्रजाति की बर्ड की पहचान उन्होंने की है ।
जिनमें तोता ,कौवा, मैना ,बुलबुल ,मोर ,हंस, बगुला ,उल्लू ,गौरैया, कोयल, दर्जिन, जामुनी शकर खोरा जैसे पक्षी शामिल हैं। देवयानी हलवे के जागरूकता अभियान में यह भी शामिल है कि बर्ड्स की प्राकृतिक फूड चैन डिस्टर्ब नहीं की जाए ..क्योंकि अभी तक उन्होंने जो बर्डस का बिहेवियर यानी व्यवहार का अध्ययन किया है ।उसके मुताबिक बर्ड को इंसान वाला भोजन ना दिया जाए.. क्योंकि कुदरत ने जंगल और जमीन पर उन्हें खुद ही फूल, कीड़े- मकोड़े ,तितलियां और छोटे छोटे परिंदे दिए हैं… जिसमें बर्ड्स को सभी तरह का भोजन ,ऑयल और उनकी जरूरत के सभी विटामिन और प्रोटीन मिल जाते हैं .. अगर इंसान को पुण्य कमाने का ज्यादा शौक है, तो बर्ड्स कि पसंदीदा चीजों जैसे ज्वार, बाजरा और चावल के दानों को चुगान लिए दिया जाए …वह भी सीमित मात्रा में…
लेकिन इंसान के पुण्य कमाने के फेर में जो कचोरी ,समोसे, बिस्किट नमकीन आदि परोस दिए जाते हैं.. जिससे पक्षियों खासकर बर्ड्स का जीवन बचने की बजाय खतरे में पड़ जाता है।
बर्ड्स का भी इंसान की तरह उड़ने ,पंख फड़फड़ाने सोने और आराम करने का समय होता है.. इसलिए इंसान को नसीहत दी जाती है कि बर्डस के लिए संरक्षित स्थल पर अनावश्यक दखलअंदाजी करने की वजाय उनके घोंसले और व्यवहार के क्षेत्र में शोर ना मचा कर ऐसे समय में प्रवेश भी ना करें ।जब उनके आराम और शयन का समय हो।

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Post Author: Javed Khan