पूर्व कमिश्नर विनोद शर्मा ने बांटा अपना ज्ञान, कहा घर के आगे लगाएं केला और पिछवाड़े पर बेलपत्र, फिर देखिए खेल..

जितना प्रकृति का संरक्षण होगा उतना ही हमारा जीवन सुखी बनेगा –  विनोद शर्मा

सेवानिवृत्त आईएएस श्री शर्मा के मुख्य आतिथ्य में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर विचार गोष्ठी आयोजित…

ग्वालियर । मनुष्य जितना प्रकृति के संरक्षण पर ध्यान देगा उतना ही उसका जीवन स्वस्थ और सुखी बनेगा।

प्रकृति जो हमें दे रही है वह निरंतर मिलता रहे। इसके लिए उसका संरक्षण भी हम ही को करना होगा। इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन के तत्वावधान में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में शुक्रवार को मुख्य अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यालय में एक सेमीनार का आयोजन किया गया। प्रकृति संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सेमीनार में मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री विनोद शर्मा ने यह बात कही।
सेमीनार में मुख्य अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी श्री आर एल एस मौर्य सहित लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सर्वश्री के के सारश्वत, आर एस भदौरिया, टी एन गौड़, ए के सक्सेना, यू एस पाण्डेय, डी के राठौर, जागेश श्रीवास्तव, विनोद छारी सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। सेमीनार में एमआईटीएस कॉलेज के प्रो. श्री ए के सक्सेना ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।
प्रकृति संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सेमीनार में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री विनोद शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान प्रतिदिन पौधरोपण का कार्य पिछले कई दिनों से कर रहे हैं। उनसे प्रेरणा लेकर हम सब लोगों को भी प्रकृति के संरक्षण के लिये नियमित रूप से पौधरोपण का कार्य हाथ में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि गृहों की शांति के लिये भी वृक्ष लगाए जा सकते हैं। इसके लिये नक्षत्र वाटिकाएँ भी तैयार की जा सकती हैं। जिसमें व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार पौधे रोपकर जीवन में शांति और समृद्धि के साथ-साथ प्रकृति के संरक्षण की दिशा में भी कार्य कर सकता है।
श्री विनोद शर्मा ने कहा कि विश्व का बड़ा संगठन यूनेस्को के द्वारा प्रकृति संरक्षण दिवस प्रारंभ किया गया है। यह संगठन समाज और विश्व कल्याण के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहा है। प्रकृति संरक्षण के लिये वृक्षारोपण के साथ-साथ पशु-पक्षियों को बचाने की दिशा में भी हम सबको सार्थक प्रयास करने की जरूरत है। भगवान, भूमि, गगन, वायु और नीर यही तो जीवन है। इसको बचाने का कार्य करना ही भगवान की सही आराधना करना है। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य के लालच के कारण ही प्रकृति को नुकसान पहुँच रहा है। हम सबको अब चर्चा करने की नहीं बल्कि प्रकृति को संरक्षित करने के लिये कार्य करने की आवश्यकता है।

–घर के आगे केला और पीछे लगाएँ बेल फिर देखें सुखद जिंदगी के खेल……….

विनोद शर्मा ने उदाहरण देते हुए कहा कि हम सब अपने घर के आगे केले का पेड़ और घर के पीछे बेल (बेलपत्र) फिर देखें जीवन का खेल । उन्होंने कहा अगर सभी लोग अपने घर पर केला और बेलपत्र का पेड़ लगाएँ तो घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। जीवन में बेहतर स्वास्थ्य और शांति भी प्राप्त होती है। प्रकृति के संरक्षण की दिशा में जो जहाँ है वहाँ पेड़ लगाए, पशु-पक्षियों को पानी और आहार दें और जल का जितना जरूरी है उतना ही उपयोग करें तो यही कार्य हम सबका प्रकृति के प्रति संरक्षण का कार्य होगा।
कार्यशाला में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री के के सारश्वत ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में तो हमारा विभाग काम करता ही है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी हम सबको सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है। विभाग का मैदानी अमला अगर पेड़ लगाने की दिशा में सार्थक प्रयास करे तो बहुत बड़ी संख्या में वृक्षारोपण का कार्य कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हम सबको वृक्षारोपण के लिये युवाओं को प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता है।
एमआईटीएस कॉलेज के प्रोफेसर श्री ए के सक्सेना ने कहा कि विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर आयोजित इस कार्यशाला में उपस्थित सभी लोग प्रकृति के संरक्षण के लिये क्या किया जाना चाहिए, इससे वाकिफ हैं। हम सबको युवाओं और बच्चों को प्रकृति संरक्षण की दिशा में कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करने की जरूरत है। प्रकृति का संरक्षण केवल चर्चा से नहीं बल्कि हर व्यक्ति के सार्थक प्रयास से संभव है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता श्री आर एल एस मौर्य ने कार्यशाला के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला के अंत में श्री जागेश श्रीवास्तव ने आभार प्रदर्शित किया।

0Shares

Post Author: Javed Khan