मोहनवीणा के माधुर्य में डूबे रसिक…
बड़ौदा गुजरात से पधारे क्षीरसागर सांगीतिक परिवार की चौथी पीढ़ी के प्रतिनिधि श्री दीपक क्षीरसागर ने जब मोहनवीणा के तार छेड़े तो ऐसा लगा कि प्यार की पुलक, प्रियतम का सम्मोहन और विरह की वेदना एक साथ उमड़ पड़ी हो। जाहिर है कला रसिकों को मोहन वीणा के माधुर्य में डूबना ही था।
तानसेन समारोह की आज की प्रातःकालीन सभा में दीपक क्षीरसागर की अंतिम कलाकार के रूप में प्रस्तुति हुई। उन्होंने अपने मोहन वीणा वादन में राग “मधुवंती” में तीन गतें पेश कीं। विलंबित गत झप ताल में, मध्यलय की गत आड़ा चौताल और द्रुत लय की गत तीन ताल में बजाई। श्री क्षीरसागर ने मांड की धुन निकालकर अपने वादन का समापन किया। ग्वालियर घराने की विशुद्ध प्रस्तुति उनके वादन में झलक रही थी।