Gwalior..तानसेन समारोह में विरह ,वेदना गान

पिया नहीं आए….

शास्त्रीय संगीत की प्रतिभाशाली एवं समर्पित गायिका श्रीमती मधुमिता नकवी ने जब राग शुद्ध सारंग में ताल एक ताल विलंबित में बड़ा ख्याल ” पिया नहीं आये…” खनकदार आवाज़ में गाया तो रसिकों में प्रेम व विरह वेदना हिलोरें लेने लगी। आज की प्रातःकालीन सभा में तीसरे कलाकार के रूप में उनकी प्रस्तुति हुई । उनके गायन में राग की शुद्धता और अलापचारी ने रसिकों को बांधे रखा। उन्होंने तीन ताल में छोटा ख्याल ” कैसे घर जाऊँ…” का सुमधुर गायन किया। इसके बाद एक ताल में तराना पेश किया।
दिन के रागों में राग शुद्ध सारंग एक बहुत ही प्रभावशाली राग है,जो श्रोताओं पर गहरा प्रभाव डालता है। उन्होंने राग जौनपुरी में एक बंदिश पेश की । श्रीमती नकवी ने राग भैरवी में प्रसिद्ध ठुमरी ” सैयां निकस गए मैना लड़ी थी” प्रस्तुत कर रसिकों की खूब वाह वाही लूटी। उन्होंने निर्गुणी भजन सुनाकर अपने गायन का समापन किया।
श्रीमती मधुमिता नकवी को ग्वालियर व किराना घराना सहित अन्य सांगीतिक घरानों की गायक़ी की महारथ हासिल है। आप शास्त्रीय गायकी के साथ-साथ शास्त्रीय नृत्य में भी पारंगत है। इसलिये उनकी गायकी में नृत्य व गायन दोनों अंग का प्रभाव साफ समझ आ रहा था।उनके साथ हारमोनियम पर उस्ताद जमील हुसैन खां, सारंगी पर उस्ताद सिराज हुसैन और तबले पर श्री रामेन्द्र सिंह सोलंकी की संगत कमाल की रही।

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Post Author: Javed Khan

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