न्याय जल्दी मिलेगा, झूँठी तसल्ली दे दी—-
बस यूँही उसे थोड़ी सी खुशी दे दी।
न्याय जल्दी मिलेगा, झूँठी तसल्ली दे दी।।
उससे कैसे कहता कि —
तारीख दर तारीख लंबा सिलसिला चलेगा।
एक दीपक भला आंधियों से कब तक लड़ेगा।।
गोली,लाठी,भ्रस्टाचार में सच की आवाज कौन सुनेगा।
भला इन कागजों से हक़ और अधिकार कैसे मिलेगा।।
न्याय अंधा नहीं है,मैंने उसे झूँठी रोशनी दे दी।
बस उसे यूँही थोड़ी सी खुशी दे दी।
उससे कैसे कहता कि–
सच आंकड़ो की धाराओं में बंधा है।
कानून चांदी के बक्सों में गिरवीं रखा है।।
न्याय तो जैसे मृग-तृष्णा हो गया है।
इंसाफ के लिये इंसान दर- दर भटक रहा है। ।
यहां देर है अंधेर नहीं, मैंने उसे झूँठी दिलासा दे दी।।
बस यूँही उसे थोड़ी सी खुशी दे दी।।
उससे कैसे कहता कि —
सब अपने अपने स्वार्थ में डूबे हुये हैं।
तेरा दर्द नहीं समझेंगे, ये सब आत्मा से मरे हुए हैं।।
वो मजबूर था,सच को ढूंढ रहा था ।
उसे हर कोई अपने -अपने तरीके से लूट रहा था।।
एक दिन जीत जाओगे तुम,मैंने दिल से दुआ दे दी।
बस यूँही उसे थोड़ी सी खुशी दे दी।।
साभार…