एक शेर :::दिल का जन्मदिन मनेगा चीतों के साथ..

 एक शेर दिल का जन्मदिन मनेगा चीतों के साथ..
–अफ्रीकी चीतों की धूम के बीच मनेगा PM मोदी का जन्मदिन ..
प्रोजेक्ट : कूनो (श्योपुर)को अफ्रीका व नामीबियाई चीतों से करेगा गुलजार ..
किसी भी देश के खासकर भारत देश के इतिहास में यह पहली बार हो रहा होगा कि एक देश के प्रधानमंत्री का जन्मदिन कुछ अलग ही रोमांचकारी अंदाज में मनाया जा रहा है.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना  जन्मदिन 17 अगस्त को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो अभ्यारण में 8 चीतों को जंगल में छोड़ कर मनाएंगे…साथ ही इस क्षेत्र के विकास की  नई इबारत लिखेंगे..
 हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी का जन्मदिन इस बार यादगार ढ़ंग से मनाए जाने की तैयारी है। इस दिन को विशेष बनाने के लिये चंबल अंचल के आदिवासी बाहुल्य श्योपुर जिले में स्थित कूनो पालपुर नेशनल पार्क में 17 सितंबर को ही अफ्रीका से चीतों को लाया जा रहा है।
 इससे पहले यहां 15 अगस्त को चीता प्रोजेक्ट के तहत चीतों को लाया जाना था…लेकिन चिकित्सा परीक्षण समेत अनेक कारणों से ये संभव नहीं हो सका..अब तकरीबन सात दशक के लंबे इंतजार के बाद भारत में विदेशी चीते आ रहे हैं। इन चीतों को कूनो-पालपुर में बनाए गये दो विशेष बाड़ों में छोड़कर मोदी अपना जन्मदिन मनाएंगे। मध्यप्रदेश के दौरे के तहत प्रधानमंत्री श्योपुर के कराहल में महिला स्वयं सहायता समूह के सम्मेलन का हिस्सा भी बनेंगे।
आपको बता दें कि ” अफ्रीकी चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया ” का सरकारी सपना 2009 में देखा गया था जिसके तहत बीते नवंबर तक केएनपी में बड़ी बिल्ली को पेश किया जाना था…लेकिन कोविड-19 महामारी ने इसे तगड़ा झटका पहुंचाया था..जिससे विलंब भी हुआ।  भारत में अंतिम चीता की मृत्यु १९४७ में कोरिया जिले में हुई थी, जो वर्तमान छत्तीसगढ़ में है, जो पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था, और इस प्रजाति को १९५२ में भारत से विलुप्त घोषित किया गया था।
 टाईगर स्टेट मध्यप्रदेश के लिये ये गौरव की बात है कि चीता प्रोजेक्ट के आधीन कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाकर पांच साल में पचास चीतों को बसाया जाएगा। इस अति महत्वपूर्ण मौके को अविस्मरणीय बनाने के लिये प्रदेश सरकार ने हर संभव तैयारी पूरी कर ली है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित प्रदेश के अन्य मंत्रियों ने तैयारियों पर अपनी नजरें बनाई हुई है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री और क्षेत्रीय सांसद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आला अफसरों के साथ कूनो के कार्यक्रम स्थल का दौरा भी कर रहे है। प्रदेश सरकार की कोशिश हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन चीतों की रौनक के बीच ऐसा मनाया जाए कि पूरा देश लंबे समय तक याद रख सकें और प्रदेश सरकार के नंबर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजरों में बढ़ सकें।
चूंकि पीएम मोदी ने अपना जन्मदिन मनाने के लिए मध्यप्रदेश को ऐसे अवसर पर चुना हैं जबकि राज्य का सात दशक का इंतजार समाप्त हो रहा है और कूनो के जंगल चीतों की हुंकार से गूंजने जा रहे हो। 748 वर्ग किमी में फैले कूनो-पालपुर नेशनल पार्क का छह हजार 800 वर्ग किमी क्षेत्र खुला वन क्षेत्र का हिस्सा है..जो वन्य प्राणियों को स्वछंद माहौल देने का काम कर रहा है। विदेशी चीतों को लाने के बाद उन्हें सॉफ्ट रिलीज में रखा जाएगा। दो से तीन महीने वे बाड़े में रहेंगे… ताकि वे यहां के वातावरण में ढल जाए। इससे उनकी बेहतर निगरानी भी हो सकेगी। चार से पांच वर्ग किमी के बाड़े को चारों तरफ से फेंसिंग से कवर किया गया है। चीता का सिर छोटा, शरीर पतला और टांगे लंबी होती हैं। यह उसे दौड़ने में रफ्तार पकड़ने में मददगार होती है। चीता 120 किमी की रफ्तार से दौड़ सकता है।
 — क्यों खास है चीता प्रोजेक्ट —
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देश में आजादी के एक साल बाद 1948 में अंतिम बार देखा गया था चीता
इसी वर्ष कोरिया (वर्तमान छत्तीसगढ़) के राजा रामानुज सिंहदेव ने किया था तीन चीतों का शिकार।
इसके बाद भारत में चीतों को नहीं देखा गया।
1952 में भारत में चीता प्रजाति की समाप्ति मानी।
1970 में एशियन चीते लाने की शुरू हुई थी कोशिशें
भारत सरकार ने 1970 में एशियन चीतों को ईरान से लाने का  किया था प्रयास।
 ईरान की सरकार से हुई बातचीत हो गई थीं नाकाम।
राजनैतिक इच्छा शक्ति का अभाव बना था कारण।
 मोदी सरकार चीता प्रोजेक्ट के आधीन पांच साल में 50 चीते लाएगी।
कूनो-पालपुर में चलेगा चीता पुनरुत्पादन प्रोग्राम।
अभ्यारण्य में बढ़ेगी चीतों की आबादी।
मध्यप्रदेश की आबो-हवा में विदेशी चीतों का मिलन हैं विशेषज्ञों के लिये सबसे बड़ी चुनौती।
चीतों को नामीबिया से केएनपी में स्थानांतरित करके उनका पुनर्वास करना राष्ट्रीय महत्व का काम — शिवराज सिंह
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ्रीका से लाए जाने वाले चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क में खास तौर पर तैयार कराए गये दो बाड़ों में छोड़ देंगे…फिर सबसे तीव्र गति से दौड़ने के आदी फुर्तीले चीते जमीन पर अपना कमाल दिखा सकें। अधिकारियों ने पहले बताया था कि आठ चीतों – पांच नर और तीन मादाओं के नामीबिया से केएनपी पहुंचने की उम्मीद है। पीएम मोदी अपने जन्मदिन  17 सितंबर को चीता पुनरुत्पादन कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे।
 वन्य प्राणी विशेषज्ञों की देखरेख में इन चीतों को बड़े स्थानों पर स्थानांतरित करने से पहले शुरू में छोटे खुले बाड़े वाले क्षेत्रों में रखा जाएगा। इसके पीछे का कारण नये वातावरण में चीतों को अभ्यस्त करना मात्र हैं। इसके बाद विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा के आधार पर नर चीतों को खुले वन क्षेत्रों में छोड़ दिया जाएगा, फिर मादाओं को मानक प्रोटोकॉल के अनुसार छोड़ा जाएगा।
 विशेषज्ञों का मानना है कि आम तौर पर, नर चीते जंगल में दो से तीन के छोटे समूह में रहते हैं। पीएम मोदी दो नर चीतों को एक बाड़े में और एक मादा चीता को दूसरे बाड़े में छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को चीतों के लिए पर्याप्त शिकार का आधार तय करने के निर्देश भी दिए। ’चीतल’ जिसे चित्तीदार हिरण के रूप में भी जाना जाता है, राज्य के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ के पास चिडीखो वन अभयारण्य से केएनपी में लाया जाता है।
 अधिकारी ने कहा कि वन कर्मचारियों ने चीतों के प्रबंधन के लिए नामीबिया में प्रशिक्षण लिया है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि केएनपी के पास चीतों के लिए अच्छा शिकार आधार है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों ने भी चीतों के पुनर्वास के लिए देश में लगभग दस स्थानों की तलाशी लेने के बाद इस क्षेत्र का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश का स्थानान्तरण रिकॉर्ड अच्छा रहा है क्योंकि 2009 में पन्ना में बाघों को सफलतापूर्वक पुन: लाया गया था।
अधिकारी ने कहा कि 750 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले केएनपी में करीब दो दर्जन चीतों के लिए पर्याप्त जगह है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, श्योपुर और उससे सटे शिवपुरी जिले के बीच 3000 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे तेज गति से चलने वाले जानवर को रहने के लिए पर्याप्त जगह देगा।
चीता प्रजनन के अति महत्वपूर्ण काम को मध्यप्रदेश सरकार अतिरिक्त गंभीरता से ले रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार इस आयोजन की मानीटरिंग कर रहे है। वे अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के माध्यम से चीता प्रजनन कार्यक्रम की तैयारियों से लगातार रुबरु हो रहे है। आयोजन के लिए की जा रही व्यवस्थाओं की समीक्षा के दौरान राज्य के वन मंत्री विजय शाह और अन्य शीर्ष अधिकारी चौहान के साथ थे।
बहरहाल मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासी बाहुल्य श्योपुर जिले के कूनो-पालपुर अभ्यारण्य की भेंट चढ़े गांवों और किसानों की अनेक दर्द भरी दास्तान चीता परियोजना का दूसरा पहलू है। चीतों की चिंघाड़ के बीच…पुनर्वास की परेशानी झेलती ग्रामीण जनता की चीखें दबा दी गई हैं क्योंकि पंत प्रधान न केवल विदेशी चीतों को हिंदुस्तान के दिल में खुलकर धड़कने का मौका देंगे… बल्कि संभवतः वे दुनिया के ऐसे पहले प्रधानमंत्री कहलाएंगे.. जिसने एमपी में चीतों की नये सिरे से आमद के बीच अपना जन्मदिन मनाया।
 ..चीतों पर पालपुर रियासत को आपत्ति…
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75 साल बाद भारत में चीतों की वापसी में एक नया पेंच,
पालपुर राजघराने की ओर से श्योपुर जिले के विजयपुर अतिरिक्त सत्र न्यायालय में याचिका दायर,
अदालत में पालपुर परिवार ने कहा…
अपना किला और जमीन शेरों के लिए दी थी, न कि चीतों के लिए,…
जब कूनो को गिर शेरों को लाने के लिए अभयारण्य घोषित किया गया तो उन्हें अपना किला और 260 बीघा भूमि खाली करनी पड़ी….
कूनो-पालपुर पर शासन करने वाले परिवार के वंशज श्रीगोपाल देव सिंह ने लगाई है याचिका, ..
मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को विजयपुर एडीजे कोर्ट में होगी।
हाई कोर्ट ग्वालियर के आदेश पर जिला न्यायालय श्योपुर  एडीजे कोर्ट विजयपुर में हो रही है सुनवाई…
अधिवक्ता मुरली मनोहर पाराशर —
का कहना है कि उच्च न्यायालय ने हमारी याचिका और दावों के जवाब में अपना जवाब देने के जिला प्रशासन को कहा था। कलेक्टर ने उच्च न्यायालय के सीधे आदेश के बावजूद हमारी याचिका का हवाला दिए बिना भूमि अधिग्रहण करने का आदेश जारी कर दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को विजयपुर एडीजे कोर्ट में होगी। palpur रियासत के वंशजों का कहना है कि उन्हें इससे संबंधित प्रोजेक्ट के लिए 260 बीघा जमीन और किला देना पड़ा था। और खुद अपने देवी-देवताओं के मंदिरों के दर्शन के लिए उन्हें टिकट देकर जाना पड़ता है..
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Post Author: Javed Khan

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