बिरलानगर (ग्वालियर) की लाईन नं.-11 में छोटा सा जनरल स्टोर देखकर कहीं से नहीं लगता कि यह स्टोर किसी के लिये प्रेरणा बना होगा। न ही जनरल स्टोर की मालिक पूनम को देखकर पता चलता है कि वे कई जरूरतमंदों की मार्गदर्शक बनीं हैं। वो भी तब जब खुद उन पर दु:खों का पहाड़ टूट चुका हो। पूनम न केवल अपने पैरों पर खड़ी हुई बल्कि कई अभाव ग्रस्त लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार बनी है। वे महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई हैं।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से मिली आर्थिक मदद से पूनम तोमर जनरल स्टोर चला रहीं हैं। बिरलानगर में दुकान के बगल में ही बने घर में पूनम अपने पिता के साथ रहती हैं। वे बताती हैं कि हमारे इलाके में अधिकांश जेसीमिल के पूर्व श्रमिक रहते हैं। आय का स्थायी जरिया न होने से श्रमिक हमारी दुकान से उधारी में सामान ले जाते और कई महीनों तक उधारी नहीं चुका पाते। मैंने ऐसे लोगों की मदद करने की ठानी। पूनम की मदद से बीरवती ने हजीरा क्षेत्र में डैकोरेशन की दुकान और ललिता ने सीएनजी गाड़ी खरीदी है। इसी तरह हरीकृष्ण क्रॉकरी और रघुवीर किराने की दुकान खोलकर आत्मनिर्भर बन गए हैं। इनके अलावा लगभग एक दर्जन जरूरतमंदों को पूनम ने आत्मनिर्भर बनने में मदद की है।
पूनम का अतीत संघर्ष से भरा है। वे बताती हैं कि बड़ी धूमधाम के साथ पिताजी ने मेरी शादी की थी। पति वाहन चलाकर खूब कमा लेते थे। वर्ष 2005 में एक दिन हुई दुर्घटना ने पति को मुझसे छीन लिया। पूनम कहती हैं मेरी खुशियों को ग्रहण लग चुका था। पर मैंने हिम्मत नहीं हारी। शुरूआत में हाथ ठेला लगाकर पसरट का सामान व छोटे-छोटे खिलौने बेचने शुरू किए। फिर जनरल स्टोर खोलने की सोची। पर आर्थिक दिक्कत आड़े आ गई। वे बताती हैं कि एक दिन मेरे मोहल्ले में नगर निगम का एक शिविर लगा था, जिसमें बताया गया कि एनयूएलएम (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) के तहत हम जैसे जरूरतमंदों को सरकार स्वरोजगार के लिये आर्थिक मदद देती है।
मैंने भी अपना आवेदन भर दिया और जल्द ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत इलाहबाद बैंक से 90 हजार रूपए का लोन मंजूर हो गया। जिसमें 18 हजार रूपए का अनुदान शामिल था। इसके अलावा लगभग 3300 रूपए ब्याज अनुदान के भी मिले। ऋण चुकता करने के लिये 2200 रूपए प्रतिमाह की किस्त बंधी। पर मैं घर का खर्च निकालने के बाद 2500 रूपए प्रतिमाह भर रही हूँ। पूनम भाव विभोर होकर कहती हैं कि अब मैंने समाज के सभी जरूरतमंदों को अपना परिजन मान लिया है। ऐसे लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में सरकार की योजनायें हमारी मदद कर रही हैं।