ग्वालियर/ राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य श्री आलोक रावत दो दिवसीय ग्वालियर प्रवास पर हैं। उन्होंने बुधवार को केंद्रीय जेल ग्वालियर का भ्रमण किया और जेल में बंदियों की स्थिति व व्यवस्थाओं का जायजा लिया। श्री रावत ने महिला बंदियों से बात कर स्थिति को जाना। महिला बंदियों द्वारा जेल में सिलाई का काम किया जा रहा है। उन्होंने बंदियों द्वारा बनाए जा रहे कपड़ों की गुणवत्ता देखी। साथ ही कहा कि सभी महिला बंदियों के आधारकार्ड होना चाहिए। जेल में बंद कैदियों को दिया जाने वाला खाना व स्वास्थ्य सुविधाओं को भी उन्होंने देखा।
महिला आयोग के सदस्य श्री आलोक रावत ने जेल की व्यवस्थाओं के संबंध में जेल अधीक्षक श्री मनोज कुमार साहू को सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा जेल में बंद महिला और पुरुष बंदियों को आवश्यक मानकों के आधार पर उन्हें मिलने वाली आवश्यक सुविधाओं का ध्यान रखा जाए। श्री रावत ने कहा कि सीएसआर फंड का प्रयोग बंदियों को आवश्यक सुविधाएं देने एवं जेल के अवसंरचना विकास के लिए किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी प्रस्ताव भेजा जा सकता है। इसके साथ ही गैर सरकारी संगठनों को भी इससे जोड़ा जा सकता है।
केन्द्रीय जेल के निरीक्षण के दौरान अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री शिवकांत गोयल, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री संजय जैन, डॉ. आशुतोष शर्मा एवं विकासखण्ड महिला सशक्तिकरण अधिकारी मौजूद थे।
श्री आलोक रावत ने कहा कि जेल में स्थिति को और बेहतर बनाने के लिए गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। उन्होंने जेल अधीक्षक से जेल में सहयोग देने वाले गैर सरकारी संगठनों की जानकारी ली। साथ ही कहा कि एनजीओ के माध्यम से बंदियों के लिए मूलभूत सुविधाएं उत्पन्न की जा सकती हैं। विशेषकर बंदियों को किसी विशेष क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं यहाँ रहने वाले बच्चों को जरूरी शिक्षा का प्रबंध किया जा सकता है।
श्री रावत़ ने कहा कि विभिन्न प्रयोजनों विशेषकर पानी गर्म करने के लिए सोलर लाइट का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने ग्लोबल सोलर अलायंस पर चर्चा की और कहा कि इस योजना के तहत नवीकरणीय ऊर्जा के महत्वपूर्ण साधन सोलर ऊर्जा का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता है, यह पर्यावरण हितैषी भी है। उन्होंने जेल परिसर का निरीक्षण किया और जेल की पुरानी इमारत के कुछ हिस्सों का जीर्णोद्धार कराने को कहा।
राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य श्री रावत ने वेस्ट मटेरियल के डिस्पोजल व रीयूज पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा वेस्ट मटेरियल के जैविक वेस्ट को डिस्पोज किया जा सकता है। परंतु प्लास्टिक वेस्ट से पर्यावरण को हानि पहुँचती है और इसके अपघटन में अधिक समय लगता है। उन्होंने कहा प्लास्टिक वेस्ट के डिस्पोजल के लिए सरकार एवं सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करें।