दादा बैजनाथ जी शर्मा
जन्म – 3 अगस्त 1926
अवसान – 27 नवम्बर 2020
ग्वालियर के उपनगर मुरार में दिनांक 3 अगस्त 1926 को जन्मे बैजनाथ जी शर्मा 27 नवम्बर को चिर निद्रा में लीन हो गए। 1939 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए और आर्य समाज मंदिर मुरार में लगने वाली शाखा के स्वयंसेवक बने। दादा बैजनाथ शर्मा जी को सर्वप्रथम शाखा लाने वाले मामा ऋषि पत्रकार माणिकचन्द वाजपेई थे।
दादा बैजनाथ शर्मा जी ने 1941 में माध्यमिक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। दादा ने 1942 के स्वाधीनता आंदोलन में भी भाग लिया। उसके बाद हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ टाइपिंग भी सीख ली थी। 1945 में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में टाइपिस्ट नियुक्त हुए। संयोग से जो पहला पत्र टाइप करने को मिला, वह मुरार हाईस्कूल में चित्रकला शिक्षक के रूप में स्वयं की नियुक्ति का था। वे ड्राईंग शिक्षक के रूप में कार्य करने लगे। साथ ही संघ कार्य करना भी जारी रहा।
1948 में गांधी हत्या के मिथ्या आरोप में संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 15 दिसंबर 1948 को 19 स्वयंसेवकों के साथ बीच बाजार में शाखा लगाने के कारण बैजनाथ जी व अन्य स्वयंसेवक गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में 26 लोगों का मेस बना, जिसकी व्यवस्था बैजनाथ जी देखने लगे। जेल की दुव्र्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने के कारण जेल अधिकारियों की शह पर असामाजिक कैदियों ने स्वयंसेवकों पर प्राणघातक हमला किया। दादाजी को मरा हुआ समझकर ही छोड़ा गया। इनके सर में 22 टाँके आये।
शासकीय सेवा में रहते हुए दादा बैजनाथ जी सत्याग्रह करने के परिणामस्वरूप नौकरी से निकाल दिए गए। इसी दौरान इंटर मीडिएट परीक्षा पास की एवं मुम्बई से ड्राईंग परीक्षा भी उत्तीर्ण की। उसके बाद वे डीएवी विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हुए। पढ़ाते पढ़ाते उन्होंने भूगोल में एमए किया, साहित्य रत्न की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। तत्पश्चात वे विद्यालय में व्याख्याता बन गए। बाद में वे इसी विद्यालय के प्राचार्य भी बने।
दादा बैजनाथ शर्मा जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघचालक, महानगर संघचालक एवं विभाग सह संघचालक के दायित्व का भी निर्वहन किया। वे मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के प्रांत के अध्यक्ष भी रहे। इसके साथ ही वे स्वदेश प्रकाशन के अध्यक्ष भी रहे। 27 नवम्बर को प्रात: दादाजी देवलोक गमन कर गए। विनम्र श्रद्धांजलि।