38 साल से राष्ट्रीय ध्वज की गठान लगाने और खोलने का काम कर रहे हैं ग्वालियर के हेड कांस्टेबल शहजाद..
गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस की मुख्य परेड से पहले की कवायद…
(जावेद खान–)
ग्वालियर..गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह हो या स्वतंत्रता दिवस की परेड का मुख्य आयोजन …ग्वालियर का एक पुलिस जवान इस अवसर पर फहराये जाने वाले राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे को फहराने से पहले की तैयारियों को पिछले करीब 38 साल से लगातार अंजाम देता आ रहा है। लेकिन पुलिस के कर्मठ जवान को 38 साल की नौकरी में सिपाही से हेड कांस्टेबल का दर्जा तो मिल गया.. लेकिन आज तक उल्लेखनीय कार्यों के लिए कोई मेडल या अवार्ड नहीं मिल सका.. जिसका उन्हें मलाल भी है..
ये हैं ग्वालियर के एसएएफ यानी विशेष सशस्त्र बल की 14 वी बटालियन के हेड कांस्टेबल शहजाद खान… शहजाद 1981 में saf यानी स्पेशल आर्म्ड फोर्स में भर्ती हुए थे ..और तब से लगातार अपने विशेष हुनर के चलते ग्वालियर जिले में होने वाले राष्ट्रीय त्योहार 15 अगस्त और 26 जनवरी के मुख्य समारोह के लिए झंडे को विशेष रूप से तैयार करते हैं.. और उसकी गठान लगाने से लेकर खोलने तक का जिम्मा इन्हीं के हाथों में रहता है.. वे इस काम को वह पिछले 38 साल से पूरी शिद्दत के साथ निभाते चले आ रहे हैं ।उन्हें अपनी सेवा अवधि के दौरान कॉन्स्टेबल से हेड कांस्टेबल बनाने वाली फीती तो उनके बाजू में लगा दी गई ।लेकिन सीने पर कोई प्रशंसा पत्र या मैडल व पदक हासिल नहीं हो सका.. जबकि उन्होंने जिले के एसपी ,कलेक्टर, कमिश्नर आईजी और मुख्यमंत्री तक के झंडे की गठान कैसे सुरक्षित तरीके से लगाई जाए और खोली जाए… इसकी ड्यूटी पूरे मनोयोग से की है..
– शहजाद खान– हेड कांस्टेबल ,14वीं बटालियन एसएएफ.
ग्वालियर में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस का मुख्य आयोजन एसएएफ ग्राउंड पर ही होता है.. और यहां फहराए जाने वाले राष्ट्रीय ध्वज के झंडे की गठान लगाने के अलावा वे आई जी चंबल ,आईजी ग्वालियर और अपनी बटालियन के क्वार्टर गार्ड सहित करीब एक दर्जन स्थानों पर सुबह 4:00 बजे से 8:00 बजे के बीच में झंडा वंदन स्थल की देखरेख करते हुए अपनी ड्यूटी निभाते हैं ।लेकिन उनके इस जमीनी कार्य पर किसी वरिष्ठ अधिकारी या जनप्रतिनिधि या मंत्री की नजर आज तक नहीं पड़ी है ।जिसका उन्हें अब और ज्यादा मलाल इसलिए है कि करीब 1 साल बाद वे अपनी सेवाओं से निवृत भी होने वाले हैं.. ..और वह अपने काम की पहचान के लिए कोई ना कोई मैडल या पदक अपने सीने पर लगवाने की चाहत रखते हैं।