एनिमल राइट्स के जोश जुनून में ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन..
– ग्वालियर में एनिमल लवर्स और डॉग लवर्स की सक्रियता और जोश जुनून के चलते हरिशंकर पुरम कॉलोनी में एक चौकीदार के डंडे की पिटाई से एक कुत्ते के पिल्ले ने घायल होने के बाद दम तोड़ दिया ।इस मुद्दे पर एनिमल लवर्स ने हंगामा खड़ा कर दिया। आरोपी को थाने पकड़ कर ले गए और उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी। लेकिन पुलिस अभिरक्षा में आरोपी की तथाकथित समाजसेवियों ने पिटाई कर दी। मामले के तूल पकड़ने पर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भी इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कार्यवाह शुरू कर दी है।
. ग्वालियर के हरिशंकर पुरम में मंगलवार की सुबह एक मल्टी के चौकीदार संजय वर्मा द्वारा उसकी पत्नी को कुत्ते के काटने पर कुत्ते के पिल्ले डंडे से पिटाई कर दी। इस घटना के बाद कुत्ते की मौत हो गई । यह घटनाक्रम कॉलोनी के ही एक मल्टी स्टोरी के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया।तो मामला एनिमल लवर्स तक पहुंचा और वे कॉलोनी में हंगामा करते हुए आरोपी चौकीदार संजय को झांसी रोड थाने तक ले गए। चौकीदार संजय जैसे ही थाने पहुंचा वहां पहले से मौजूद एनिमल लवर्स और समाजसेवियों ने आरोपी की पिटाई शुरू कर दी ।इस तरह थाने के अंदर ही एनिमल राइट्स के कर्ता-धर्ताओं ने आरोपी की पिटाई करके कानून अपने हाथ में लिया। जिससे इंसानियत और कानून भी शर्मसार हुआ है ।शहरवासी भी इसकी निंदा कर रहे हैं ।
बातचीत-डॉ. श्रीनिवास शर्मा-/ स्थानीय चिकित्सा विशेषज्ञ
अब इस मामले में जो वीडियो वायरल हुआ और एनिमल लवर्स ने एनिमल राइट्स की दुहाई देते हुए जो आरोपी की पिटाई की ।उस मुद्दे को मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भी गंभीरता से लिया है। इस मामले का वीडियो और f.i.r. की फोटो प्रप्त होते ही मामले की अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है ।साथ ग्वालियर के जिला प्रशासन और एसपी को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जा रहा है.।
बातचीत–डॉ.. सुभाष जैन/ जिला संयोजक/ मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग
.. ग्वालियर अंचल में एनिमल राइट्स के नाम पर कई एनजीओ और स्वयंसेवी संगठन काम कर रहे हैं ।और छोटी सी छोटी घटना को बड़ा तूल दिया जाता है। जिसको लेकर गली मोहल्ला और बाजारों में आए दिन झगड़े होते रहते हैं ।लेकिन एनिमल राइट्स के नाम पर समाज सेवा करने वालों की प्रसिद्धि की चाहत में मानव अधिकारों का भी उल्लंघन कहीं ना कहीं हो जाता है। बेजुबान जानवर तो भले ही न्याय पा जाते होंगे। लेकिन इंसान अपने मानव अधिकार के उल्लंघन के वाबजूद कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने को मजबूर हो जाता है ।