गरीबों की पहुंच से दूर डिजिटल बैंकिंग.. बैंक कर्मी काउंटर से पैसे निकालने में करते हैं आनाकानी .. अब तो जमा करने के लिए भी मशीन का उपयोग किया जरूरी..

गरीबों की पहुंच से दूर डिजिटल बैंकिंग..
बैंक कर्मी काउंटर से पैसे निकालने में करते हैं आनाकानी ..
अब तो जमा करने के लिए भी मशीन का उपयोग किया जरूरी..
स्थान:  ग्वालियर में पाटनकर बाजार स्थित महाराष्ट्र बैंक शाखा । समय : आज दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे । दो किशोरियां अपने बचत खाते से रूपये निकालने के लिए विड्रोल क्यू में हैं। उनका नम्बर आने पर कैशियर ने उन्हें पेैसे देने में आनाकानी  की। वजह बताई कि 20 हजार रूपये से कम की राशि निकालने  के लिए एटीएम का  इस्तेमाल  करें। लड़कियों का तर्क था कि  वे एटीएम के बारे में  नहीं जानती। केश काउण्टर के बगल में बैठे सीनियर अफसर बोले कि आपके नाम से तो एटीएम कार्ड है। उन्होंने बच्चियों की एटीएम से अनभिज्ञता को उनकी पढ़ाई के स्तर से जोड़ दिया। ख्ैार,  किशोरियों को आगाह करते हुए कि  आइंदा आपको एटीएम से ही पैसे निकालना होंगे, यहां से विड्ऱोल  नहीं हो सकेंगे।   बैंक केशियर ने उन्हें नकद भुगतान कर दिया।
इस बीच एक निम्न मध्यमवर्गीय कस्टमर  स्कूल में पढ़ रही अपनी  बेटी के साथ वहां आया। उसने बैंक अधिकारी को अपने  मोबाइल  फोन में आया मैसेज दिखाया कि मैने अभी-अभी एटीएम से पैसे निकाले। पैसे निकले नहीं, लेकिन मेरे खाते से पैसे कट गए। यह मेसेज आया है। अधिकारी ने उसके मोबाइल पर  एक नजर डाली । फिर  कहा, 24 घंटे में पैसे तुम्हारे  खाते में वापस आ जाएंगे।
”साहब, मैें बेटी की किताबें खरीदने  के लिए पैसे निकालने आया था।  अब क्या करुं, दुबारा निकाल कर देखूं ? एटीएम  कार्डधारी  गरीब  आदमी ने पूछा।
”मैं कैसे गांरटी दे दूं, एटीएम  से पैसे  निकलेंगे या नहीं, ये तो मशीन  है। सभी उसी से निकालते हैं- बैंक अधिकारी  की  आवाज में थोड़ी सी झल्लाहट थी।
वहां मौजूद एक अन्य  कस्टमर बेाला- ”तभी गरीब  जन, कम पढ़े लोग  एटीएम से बचते हैं।
यह है हमारी बैंकिंग व्यवस्था जो तेजी से इंटरनेट , डिजीटल होती जा रही है, लेकिन एक  बड़ा तबका जो तकनीकी में दक्ष नहीं है, उसे बैंकिंग सेवाएं लेने  में बहुत दिक्कत आ रही है।
बेहतर यह हो कि मौके पर ही  यानी बैंक शाखा में ही बैंक स्टाफ बैंक कस्टमर की एटीएम, डिजीटल बैंकिंग संबंधी झिझक, कमजोरी, जिझासा को दूर करे।
हालांकि , यह भी कड़वा सच है कि बैंकों में कर्मचारियों की संख्या नगण्य रह गयी है। सरकार प्रायवेट बैंकों को बढ़ावा दे रही है। इन बैंकों को  सिर्फ मुनाफे से मतलब है। समाज के अंतिम छोर के व्यक्तियों तक  ई.  बैंकिंग    सर्विस पहुंचाने में सरकारों और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को निरंतर विशेष प्रशिक्षण अभियान  चलाना होगा।
साभार—प्रदीप मांढरे
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Post Author: Javed Khan

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