Kuno-कूनो..
चीतों के गले में लगेंगे सेटेलाइट कॉलर आईडी ,
उनके आचार व्यवहार पर रहेगी नजर..
श्योपुर. कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में 17 सितंबर को नामीबिया से 8 चीते आ रहे है। वहीं दक्षिण अफ्रीका भी चीते भेजने के लिए तैयार है इसके लिए हाल में वहां के दल ने पार्क देखकर संतुष्टि जताई थी। फिलहाल नामीबिया से इन चीतों के लिए कूनो सेंक्चुरी में 5 वर्ग किलोमीटर का विशेष बाड़ा बना है। इसमें रहने के दौरान चीते क्या-क्या गतिविधि करते है इस पर न सिर्फ कूनों प्रशासन, भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून (डब्ल्यूआईआई) के विशेषज्ञ नजर रखेंगे बल्कि 8000 किलोमीटर दूर साउथ अफ्रीका की सरकार व वन्यजीव विशेषज्ञ की भी पल-पल नजर रहेगी। इसके लिए हर चीते के गले में एक सैटेलाइट कालर आईडी लगी होगी। चीतों में कोई संक्रमण न फैले, इसलिए आसपास के गांवों के मवेशियों तक का टीकाकरण किया गया है। इतनी कवायद के बाद बाड़े में रहने वाले चीतों पर पल-पल की निगरानी की बात आई तो इसके लिए सैटेलाइट कालर आईडी का सहारा लिया जा रहा है।
भारत में चीतों को अंतिम बार साल 1948 में देखा गया था। इसके बाद से चीतों को देश में विलुप्त करार दे दिया गया। देश में 74 साल बाद चीतों की वापसी हो रही है, इसीलिए कूनो सेंक्चुरी प्रशासन, भारतीय वन्यजीव संस्थान से लेकर साउथ अफ्रीका सरकार तक चीतों की सुरक्षा में कोई भी कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
तेंदुआ और लकड़बग्घा को भी पहनाई हैं रेडियो कालर आइडी
कूनो में करीब 75 तेंदुआ और 80 से ज्यादा लगड़बग्घा हैं। ये दोनों ही वन्यजीव हिंसक होते हैं और आने वाले चीतों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसी आशंका को देखते हुए कूनो प्रशासन ने 10 तेंदुआ और 10 लकड़बग्घा के गले में भी रेडियो कालर आइडी लगाई है। डीएफओ पीके वर्मा के अनुसार रेडियो कालर आइडी के जरिए इस बात का पता लगाया जाएगा कि चीतों के प्रति तेंदुआ व लकड़बग्घों का व्यवहार कैसा है। इसके अलावा भी तेंदुओं व लकड़बग्घों की इंसानी बस्ती में घुसने जैसी घटनाओं पर भी कालर आइडी के जरिए नजर रखी जाएगी