Gwalior–यहां न कोई “गुब्बारा” है और न कोई “फाटक”

इसलिए कहते हैं “गुब्बारा फाटक” यहां न कोई “गुब्बारा” है और न कोई”फाटक” लेकिन……………….. 150 साल पहले रियासत काल में या यूं कहें कि शिंदे शाही के जमाने में यहां बेलून बनाने वाले और चमड़े का थैला बनाने वालों की बसाहट हुआ करती थी…. इसलिए इस इलाके को गुब्बारा फाटक कहते हैं मैथिली शरण गुप्त […]

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