“हां साहेब !! मैं सरकार का चारा हूँ। नियमों से बंधा मध्यमवर्ग बेचारा हूँ।।”

“हां साहेब !! मैं सरकार का चारा हूँ। नियमों से बंधा मध्यमवर्ग बेचारा हूँ।।” आज़ादी के बाद से ही हिंदुस्तान की तमाम सरकारों ने सामाजिक न्याय की व्यवस्था में दो वर्गों को अपनी आंखों का तारा बनाकर बड़ा किया हैं। हर सरकार की पहली पसंद रहा हैं… निम्न आय वर्ग और दूसरी पसंद में उच्च […]

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