एक गांव जहां के लोग ढूंढ रहे हैं मरधट

एक गांव जहां के लोग ढूंढ रहे हैं मरधट

ग्वालियर।  नगर निगम ग्वालियर में परिसीमन लागू होने के बाद 60 से बढ़कर वार्डों की संख्या 66 हो गयी। लेकिन शहर की सीमा से लगे वार्डों की स्थिति आज भी बद सेू बदत्तर हो गयी है। ऐसा ही एक वार्ड है वार्ड क्रमांक 60। इस वार्ड के गांव भाटखेडी, कोटे की सराय को नगर निगम मे शामिल तो कर लिया गया। लेकिन इस क्षेत्र की समस्या नगर निगम मे शामिल होने के बाद और बढ गयी है। और तो और इस गांव के मरधट यानि शमशान धाट भी गायब हो गये है।

        जी हां ये नगर निगम सीमा का सबसे आखिरी छोर का गांव भाटखेडी कोटे की सराय के नाम से जाना जाता है। यहां के निवासी बिजली, नाली, सड़क, पानी, गंदगी, मच्छरों की समस्या के अलावा शमशान यानि मरधट न होने का समस्या से जूझ रहे है।
      भाटखेडी गांव के लोगों का कहना है कि यहां एक बच्चों का मरधट भी था। जो सीमा निर्धारण के साथ गायब हो गया है। विकास के नाम पर यहां सरकार की कोई योजना का लाभ नही पहुंचा है। स्थानीय निवासी और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि राकेश सिंह गुर्जर बताते है कि भाटखेडी व कोटे की सराय गांव के करीब 800 परिवार निवास करते हैें लेकिन यहां स्वास्थय सुविझाएं न होने, डेंगू का डंक फैलने पर शहर के लिए 10 से 12 किलोमीटर दूर जाना पडता है। जो सरकार की योजनाओं पर प्रश्न चिन्ह है।
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Post Author: Javed Khan

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