3 माह बाद बीजिंग से आई प्रबल की डेड बॉडी .. केंद्रीय मंत्री सिंधिया और मुख्यमंत्री से की गई थी मदद की गुहार..

3 माह बाद बीजिंग से आई प्रबल की डेड बॉडी ..

केंद्रीय मंत्री सिंधिया और मुख्यमंत्री से की गई थी मदद की गुहार..

 

ग्वालियर.

योगा थेरेपिस्ट प्रबल कुशवाह की लाश 89 दिन के बाद चीन के बीजिंग से ग्वालियर लाया गया है। चीन में भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद यह संभव हो सकता है। ग्वालियर में सोमवार की शाम को योगा थेरेपिस्ट के शव का गमगीन माहौल के बीच मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया है।

लगभग 89 दिन के बाद अपने कलेजे के टुकड़े को कफन में लिपटा देख योगा थेरेपिस्ट के मां-पिता के सब्र का बांध टूट गया और फूट-फूटकर रोने लगे। 19 दिसम्बर के पिता ने आखिरी बार इकलौते बेटे प्रबंल से बात की थीं उसके बाद से कोई संपर्क नहीं हुआ था। कुछ दिन के बाद जब उसकी एक दोस्त से बात हुई तो पता लगा कि उसकी मौत हो चुकी है। योगा थेरेपिस्ट की मौत की परिस्थितियों संदिग्ध थी और वहां उसे सुसाइड बताया गया था।
क्या है पूरा मामला..
शहर के माधौगंज स्थित रॉक्सी पुल निवासी सुरेन्द्र कुशवाह टैक्सी चालक हैं। उनका इकलौता बेटा प्रबल कुशवाह पेशे से योगा थेरेपिस्ट है। फरवरी 2023 में प्रबल को चाइना के बीजिंग से योग सेंटर में नौकरी के लिए ऑफर मिला था। इस ऑफर को अपने करियर का टर्निंग प्वाइंट मानकर प्रबल कुशवाह नौकरी के लिए चीन चला गया। उसके चीन में जॉब करने से पूरा परिवार काफी खुश था। 19 दिसंबर 2023 को पिता की इकलौते बेटे से बात हुई थी। इसके बाद से लगातार उसका फोन बंद आ रहा था। परिजन को शंका हुई तो उन्होंने चाइना बुलाने वाली सू-चाइना व मिस रोजी से संपर्क किया।

तब इन लोगों ने परिजन का फोन पिक नहीं किया। इसके बाद जब संपर्क हुआ, तो उन्होंने बताया कि प्रबल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। इस सूचना के बाद से पूरा परिवार सदमे में था। इसके साथ ही उसके परिजन भारतीय दूतावास से मदद की गुहार लगा रहे थे।
प्रतिभावान था प्रबल..
प्रबल के पिता सुरेन्द्र कुशवाह ाने बताया कि उनके बेटे को बचपन से ही योग का काफी शौक था। उसने बेंगलुरू से इसका कोर्स भी किया। उसके बाद चाइनीज समेत कई भाषायें सीखी ताकि बाहर देश में जाकर योग सिखा सके और इसके बाद उसे चीन के बीजिंग से ऑफर आया था। उसे भेजते समय हमें काफी डर था क्योंकि वह हमारा इकलौता बेटा था। लेकिन उसकी तरक्की के लिये दिल पर पत्थर रख लिया था। हम यह नहीं जानते थे कि अब कभी हमारा प्रबंल लौटकर ही नहीं आयेगा।
योगा थेरेपिस्ट के घर में 3 माह से मातम है
प्रबल की मौत के बाद परिवार में गमगीन वातावरण था। उनके माता-पिता बेहद सदमें में थे, 23 दिसम्बर को जब उसकी मौत का पता लगा था तब से परिजन उसके शव को लाने के लिये प्रयास कर रहे थे। 18 मार्च सोमवार को लगभग 89 दिन के बाद योगा थेरेपिस्ट का शव ग्वालियर लाया गया था। पूरे क्षेत्र में गम का माहौल है..👌

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Post Author: Javed Khan