ग्वालियर । ग्वालियर की झुलसा देने वाली गर्मी से जहां मानव जीवन त्रस्त हो गया है। वही उसका असर अब 40 डिग्री से ऊपर तापमान जाने पर मूक जानवरों पर भी पड़ने लगा है। जानवरों को भी गर्मी लगती है, इसके लिए बाकायदा एक कानून भी भारत सरकार ने बना रखा है। इस कानून के तहत जिला प्रशासन ने ग्वालियर जिले में गर्मी की भीषणता को देखते हुए दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक पशु चलित वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। जो कोई भी इस कानून का उल्लंघन करेगा उसको नियम अनुसार जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
ग्वालियर में अभी का तापमान करीब 41 से 45 डिग्री सेल्सियस तक चल रहा है। इस गर्मी से मानव जीवन तो बेहाल हो ही जाता है वहीं पशुओं की दिनचर्या पर भी असर पड़ता है और पशु चलित वाहनों जिनमें की तांगा, बैलगाड़ी, भैंस गाड़ी, ऊंट गाड़ी, खच्चर गाड़ी, टट्टू एवं गधे पर वजन ढोने के लिए प्रयोग में लिए जाने वाले पशु इसमें शामिल हैं। इस बढ़ते तापमान पर पशुओं पर सामान रखकर या सवारी कर उपयोग करने से या वजन ढोने से जिला प्रशासन ने रोक लगाई है। दोपहर में पशु चलित वाहनों का उपयोग न करने की हिदायत भी दी गई है। यह सब पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर किया गया है।
ग्वालियर महानगर में सवारी गाड़ी के रूप में तांगे का इस्तेमाल होता है तो वहीं शहर के प्रमुख व्यवसायिक स्थल दाल बाजार में जहां की गल्ले का कारोबार होता है। वहां बैलगाड़ी से माल ढोने का काम किया जाता है और बैलगाड़ी से माल ढोने वाले हम्माल और बैल गाड़ी चालक कानून के पालन की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि कलेक्टर साहब का आदेश है तो हम भी 12 से 4 बजे के बीच में अपने जानवरों को आराम देंगे और फिर उसके बाद काम करेंगे।
ग्वालियर महानगर जिस तरह तेज सर्दी के लिए जाना जाता है वैसे ही चिलचिलाती गर्मी के लिए भी विख्यात है और जिला प्रशासन द्वारा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत पशुचालित वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर एक अच्छी पहल की गई है। जबकि लोग परिंदों के लिए तो सकोरे और दाना डाल कर उनके भोजन की व्यवस्था करते हैं। ताकि उनकी जानों को बचाया जा सकें। लेकिन इन मूक पशुओं की भी सोचने की जिम्मेदारी हम सब की है ।