JAH को पर्यावरण की अनदेखी के लिए 21.75 लाख का मुआवजा भरना होगा

ग्वालियर । पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर प्रयास किये जाते हैं लेकिन कई बार अफसरों की लापरवाही के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर के JAH समूह का सामने आया है। जिसके खिलाफ केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने JAH से 21 लाख 75 हजार रुपए का मुआवजा भरने के आदेश दिए हैं।

दरअसल मामला खुले में बायोमेडिकल वेस्ट जलाने से जुड़ा है। स्थानीय प्रशासन के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक ये शिकायत कई बार पहुंची है कि जयारोग्य अस्पताल समूह बायोमेडिकल वेस्ट जैसे सिरिंज, ग्लब्स, ग्लूकोज बोतल, इंजेक्शन आदि का डिस्पोजल सही से नहीं करता और इसे खुले में जलाया जाता है। शिकायतों के बाद बीती 24 अप्रैल को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी डॉ. अनूप चतुर्वेदी ने JAH का निरीक्षण किया था। उन्हें बायोमेडिकल वेस्ट डस्टबिन में पड़ा मिला था साथ ही ये परिसर में खुले में ही जलता हुआ मिला था जबकि इस कचरे को केवल इन्सीनेटर(भस्मक) में ही जलाया जा सकता है। डॉ. चतुर्वेदी ने अपनी रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी। रिपोर्ट देखने के बाद बोर्ड के चेयरमैन SP सिंह परिहार ने 20 जून को जारी अपने आदेश में कहा कि हमारे अधिकारी को निरीक्षण में नियमों का भारी उल्लंघन मिला है। बायोमेडिकल वेस्ट उठाने वाले कर्मचारियों का टीकाकरण तक नहीं कराया जाता। यहाँ तक कि अस्पताल ने प्रदूषण बोर्ड की सदस्यता तक नहीं ली है इसलिए निरीक्षण दिनांक 24 अप्रैल से 20 जून तक यानि 58 दिनों में अस्पताल को नियमों की अनदेखी का दोषी मानते हुए पर्यावरण मुआवजे के रूप में 21 लाख 75 हजार रुपए जमा करने का आदेश दिया है। अस्पताल को ये राशि 15 दिन में बोर्ड के खाते में जमा करानी होगी। गौरतलब है कि ये कार्रवाई बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016 के तहत की गई है और पर्यावरण को नुकसान को लेकर इस अंचल की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

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Post Author: Javed Khan

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