प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह न्यूज़ पोर्टल भी अपनी जवाबदेही तय करें :केंद्र सरकार..

केंद्र सरकार ने जहां गुरुवार को नेटफ्लिक्स-अमेजन जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म, फेसबुक-ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। वहीं इस दौरान एक चौकाने वाला खुलासा भी किया जिसमें कहा गया की सरकार के पास अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं है कि देश में कितने न्यूज पोर्टल संचालित हो रहे हैं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद सोशल मीडिया और ओटीटी के लिए नई गाइडलाइंस के बारे में जानकारी दे रहे थे। तभी उनसे पूछा गया कि क्या देश में न्यूज पोर्टल के लिए भी कानून आएगा? देश में कितने न्यूज पोर्टल हैं? इस सवाल के जवाब में जावड़ेकर ने कहा कि यह बहुत अच्छा सवाल है। अभी तक केंद्र सरकार के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है कि देश में कितने न्यूज पोर्टल संचालित हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने आगे कहा कि इस पर काम किया जा रहा है। न्यूज पोर्टल के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया भी जारी है। लेकिन अभी वास्तविकता में कितने न्यूज पोर्टल हैं, इसका आंकड़ा हम सबके पास नहीं है। इसके साथ ही डिजिटल मीडिया न्यूज वेबपोर्टल की जवाबदेही को तय करने भी सरकार ने शीघ्र ही नए नियम जारी करने के संकेत दिए हैं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइंस की घोषणा की। मंत्री द्वय ने कहा की डिजिटल न्यूज वेबपोर्टल के नियम इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया की तरह स्व निर्धारित हों इसका हमने पूर्व में प्रयास किया दो बार बैठक भी आयोजित कर सरकार ने नियम खुद निर्धारित करने के लिए समय भी दिया है लेकिन इसमें कोई गम्भीरता नहीं दिखाई दी । उन्होंने कहा की सरकार का मानना है की डिजिटल न्यूज़ वेबपोर्टल अपनी जवाबदेही उसी प्रकार तय करें जैसे की टीवी और प्रिंट मीडिया ने की है। उन्होंने कहा की डिजिटल न्‍यूज मीडिया को अपने बारे में विस्‍तृत जानकारी देनी होगी.ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्‍टम लागू करना होगा. अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा साथ ही उन्होंने यह भी कहा की डिजिटल मीडिया को सूचना और प्रसारण मंत्रालय देखेगा और इंटरमीडरी प्लेटफॉर्म का संज्ञान आईटी मंत्रालय लेगा ,सेल्फ रेगुलेशन होनी चाहिए, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का सेवानिवृत्त जज करेगा या इस श्रेणी का कोई प्रख्यात व्यक्ति करेगा. एक ओवरसाइड तंत्र भी होगा.
मंत्री द्वय ने कहा की ये नियम आगामी तीन महीने में लागू हो जाएंगे। नए दिशानिर्देशों के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट की शिकायत मिलने पर उसे 24 घंटे के अंदर हटाना होगा।
डिजिटल मीडिया को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह सेल्फ रेगुलेशन करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद सरकार हुई जागृत
इससे पहले 13 फरवरी को उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया पर भ्रामक व भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने के मामले में केंद्र सरकार और ट्विटर को नोटिस जारी किया था।
सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा था कि फर्जी अकाउंट बनाकर फैलाई जा रही भ्रामक खबरें, संदेश व नफरत भरी सामग्री (कंटेंट) और विज्ञापनों को कैसे रोका जाएगा? अदालत ने हेट स्पीच और फेक न्यूज पर अंकुश लगाने के लिए देश में सोशल मीडिया को नियंत्रित कर कानून के दायरे में लाने के लिए केंद्र और अन्य को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। इसके अलावा अदालत ने सोशल मीडिया के जरिए नफरत फैलाने वाले और फेक न्यूज के प्रसार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए अलग से कानून बनाने को कहा था।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम ने बीते शुक्रवार को भाजपा नेता विनीत गोयनका की याचिका पर केंद्र व टि्वटर से जवाब तलब किया था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अश्विनी दुबे ने कहा था कि गणमान्य नागरिकों व सांविधानिक पद पर बैठे लोगों के नाम से टि्वटर व फेसबुक पर सैकड़ों फर्जी अकाउंट उनकी वास्तविक फोटो के साथ चल रहे हैं। इनसे नफरत व भ्रम फैलाने वाली सामग्री पोस्ट की जा रही है। आम नागरिक इनका विश्वास आसानी से कर लेते हैं।
अब ये होंगे नए नियम
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, सोशल मीडिया कंपनियों को यूजर्स की शिकायतों के लिए एक अधिकारी रखना होगा और इसका नाम भी बताना होगा। किसी भी यूजर की शिकायत पर 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करना होगा। 15 दिन के भीतर उसकी शिकायत को सुलझाना होगा। न्यूडिटी के मामलों में अगर शिकायत होती है, 24 घंटे के भीतर उस कंटेंट को हटाना होगा। कंपनियों को हर महीने सरकार को एक रिपोर्ट देनी होगी कि कितनी शिकायतें आईं और उन पर कार्रवाई की गई है। किसी भी अफवाह या गलत कंटेंट को पहली बार किसने डाला, इसकी जानकारी सरकार को देनी होगी।
आइये जानें सरकार ने ओटीटी को लेकर क्या गाइडलान जारी किया

OTT और डिजिटल न्‍यूज मीडिया को अपने बारे में विस्‍तृत जानकारी देनी होगी.
ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्‍टम लागू करना होगा. अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा.
OTT प्‍लेटफॉर्म्‍स को एक शिकायत निवारण तंत्र रखना होगा और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफिसर का नाम भी रखना होगा. ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा.
सेंसर बोर्ड की तरह OTT पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्‍यवस्‍था हो. एथिक्‍स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा.
ओटीटी और डिजिटल मीडिया को सूचना और प्रसारण मंत्रालय देखेगा और इंटरमीडरी प्लेटफॉर्म का संज्ञान आईटी मंत्रालय लेगा
सेल्फ रेगुलेशन होनी चाहिए, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का सेवानिवृत्त जज करेगा या इस श्रेणी का कोई प्रख्यात व्यक्ति करेगा. एक ओवरसाइड तंत्र भी होगा.
इसके अलावा डिजिटल मीडिया की गाइडलाइन पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया, सोशल मीडिया को 2 श्रेणियों में बांटा गया है, एक इंटरमीडरी और दूसरा सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया इंटरमीडरी. सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया इंटरमीडरी पर अतिरिक्त कर्तव्य है, हम जल्दी इसके लिए यूजर संख्या का नोटिफिकेशन जारी करेंगे.

रविशंकर प्रसाद ने आगे बताया कि कोर्ट के आदेश और सरकार द्वारा पूछा जाने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शरारती कंटेट का ओरिजनेटर बताना होगा. सिग्निफिकेंट सोशल​मीडिया के कानून को हम तीन महीने में लागू करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने बताया, यूजर्स की गरिमा को लेकर अगर कोई शिकायत की जाती है, खासकर महिलाओं की गरिमा को लेकर तो आपको शिकायत करने के 24 घंटे के अंदर उस कंटेट को हटाना होगा.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का स्वागत है, लेकिन इसमें दोहरे मापदंड बर्दाश्त नहीं

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कोर्ट या सरकार अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से शरारती संदेश को लेकर जानकारी मांगती है वह देना होगा। इसमें सबसे पहले पोस्ट करने वाले यूजर की जानकारी भी मांगने पर देनी पड़ेगी। साथ ही केंद्रीय कानून मंत्री और यदि आप किसी भी सोशल मीडिया यूजर के कंटेंट को निष्क्रिय करना चाहते हैं, तो आपको उसे कारण बताने होंगे और उसे सुनना भी होगा।

उन्होंने कहा कि भारत में हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का स्वागत है, लेकिन इसमें दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। यदि कैपिटल हिल पर हमला होता है, तो सोशल मीडिया पुलिस की कार्रवाई का समर्थन करता है, लेकिन जब लाल किले पर आक्रामक हमला होता है, तो आपके पास दोहरे मानक हैं। यह स्पष्ट रूप से स्वीकार्य नहीं है।

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Post Author: Javed Khan

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