हम सब तो चुप थे,,,, लेकिन”” इंद्रदेव “”को नहीं मना पाई “स्मार्ट सिटी”

यथावत—
रोली तिलक थाल में श्रीफल लिया सजाए ।
स्वागत में इंद्रदेव के स्मार्ट सिटी इतराए ।।
 
बहुत दिनों से इंद्रदेव ऋषि ग्वालिपा की हर मामले में ऐतिहासिक नगरी ग्वालियर का मूसलाधार दौरा करने का मन बना रहे थे !! इस बीच कई मर्तबा उन्होंने कोशिश भी की !! लेकिन स्मार्ट सिटी की प्लास्टिक सर्जरी पर हर बार वो तरस खाकर रह गए !! सावन के पहले सोमवार की शाम सवा छह बजे भगवान सदाशिव ने इंद्र से सवा घंटे झमाझम अभिषेक की इच्छा जताई…पहले तो इंद्रदेव ने नगर निगम स्मार्ट सिटी और लोक निर्वाण विभाग समेत बिजली महकमे की नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली मंडली का हवाला दिया !! फिर स्मार्ट सिटी और दीगर स्थानीय महकमों की देखरेख पर हवाई महलों के निर्माण और ऐतिहासिक ज़मीनी सियासी महलों के संधारण की दुहाई दी !! अब अपने भोले भंड़ारी भला ! सावन के पहले सोमवार पर आसमानी अभिषेक की अपनी इच्छा कैसे पूरी नहीं करते ?? सो वे तो अड़ गए और इंद्रदेव को पचपन मिलीमीटर के ऊपर बरसने का आंकड़ा पहुंचाना पड़ा !! 
 
जब भोलेनाथ हालिया तौर पर तृप्त हुए तो इंद्रदेव ने उनसे संवाद आगे बढ़ाया.. उन्होंने सवाल दागा – शंभूनाथ आज से तो आपका वो महीना शुरू हुआ हैं जिसमें आप अपने भक्तों को भक्ति प्रसाद छप्पर फाड़कर देते आए हैं.. तो भगवन् ये ज़िद कैसी..??? वे बोले इंद्र आप कितने नादान हो..मैंने सवा घंटे आपसे अपना अभिषेक अकेले नहीं कराया हैं !!!! बल्कि अपने स्मार्ट सिटी के सपनों में खोए भक्तों को दिवास्वप्न से जगाने की आंखें खोलू बरसात कराई हैं !! 
                       
आप क्या जानोगे कि हर दिन शिव !! शिव !! करके स्मार्ट खुदाई.. खुले सरियों.. भीमकाय गड्ढों से मेरा आम मेहनती भक्त शतक पार पेट्रोल से सिसकते अपने दोपहियों से कैसे घर तक पहुंच रहा हैं ?? एक दिन तो विकास मार्ग यानी जयविलास महल मार्ग पर रियासती निशानियों के नज़दीक एक मां-बेटे दोनों ही गाड़ी समेत एक स्मार्ट गड्ढे के प्रेमजाल में फंस गए थे..बमुश्किल ही निकल पाए…मुझे तो तब पता चला जब वो प्रसाद चढ़ाते हुए बोले हे ! अचलनाथ !! जान बची और लाखों पाए…बचकर तेरे दर पर आए !! 
 
तुम्हें पता हैं इंद्र अपनी स्मार्ट सिटी के अत्याधुनिक ट्राफिक सिग्नल्स को आंख मारने का पप्पूर्ईयां रोग लग गया हैं… ये जिस सड़क पर कुलजमा दस गाड़ियां रहती हैं.. वहां तो दो से तीन मिनट तक पलक भी नहीं झपकाते… और जहां सैकड़ों गाड़ियां होती हैं.. वहां तीस सेकंड में ही अपनी आंखें लाल कर ड़ालते है.. गोया कि तमाम गाड़ियां हवा में उड़कर आधे मिनट में बत्ती पार कर लेगी !! एक बात और बताऊं ग्वाल्हेर अजब हैं.. सबसे गज़ब हैं.. क्योंकि ये देश का ऐसा पहला स्मार्ट शहर बनने जा रहा हैं..जहां हर उस मोड़ पर भी ट्राफिक सिग्नल लाल..पीला.. हरा होता हैं.. जिनके लिये यातायात में सिग्नल फ्री के नियम लागू होते हैं !!! स्मार्ट होने की अंधी दौड़ में “मार गई हमें इसकी खुदाई… डस गई ये विकासाई” गाते हुए गड्ढों की बेतहाशा बढ़ती आबादी से बचकर निकलना पड़ रहा हैं !!
 
इंद्र तुम ये समझ लो कि मेरी तुमसे झमाझम कराने की मंशा तभी पूरी होगी ?? जब ग्वालियर को स्मार्ट बनाने की ज़िद्द पर अड़े तमाम ज़िम्मेदारों की तुम सुध लोगे ! काम और विकास की अंधी दौड़ में बेचारों की आंखों का पानी सूख चुका हैं !! तुम चाहों तो इन सभी पर तरस खाओ.. और सभी की आंखों में संवेदना की दो-दो बूंदें ही ड़ाल जाओ !! वैसे तुम्हें बता दूं कि विकास का जादू जब सर चढ़कर बोलता हैं तो भीषण सूखे में भी इनके बंगले का हर फूल मुस्काता हैं!!
 
तुम्हें तो पता ही होगा इंद्र कि हमारी जनता लगातार नगर निगम की अमृत योजना से विष पी रही हैं और निगम ख़ैरख़्वाह पुश्तों के लिये अमृत संचय कर रहे है !! निगम की ही उत्थान योजना में मलिन और निचली बस्तियों का पतन जारी है !!  अब तुमसे क्या छुपा हैं कि ज़रा से वेग से तुम्हारा बरसना.. शहर की सत्तर फ़ीसद बस्तियों.. सड़कों.. नाली नालों घर-आंगनों तक को “विकास की कब्रों में दफ़न निकास” का मुसीबत भरा चेहरा दिखा गया। रात भर कहीं बिजली के गिरे हुए खंबे स्मार्टनेस पर मुस्कुराते रहे.. तो कहीं नींद को किनारे करके हमारे बाशिंदे सीवरयुक्त बरसाती पानी से आशियाना खाली कराते रहे !! अब वो अच्छे दिन भी आने वाले हैं जब हम सभी डॉक्टरों के घर जाने वाले हैं !!
                       
देखो इंद्र ये तो हरी कथा.. अनंता हैं.. वादा करो कि अब अपनी गरज..बरस..धमक से हर उस स्मार्ट को जगाओगे जो स्मार्ट सिटी के झुनझुने की झंकार में कुंभकर्णी नींद की आगोश में हैं.. इन सबको समझाओ कि समय पर नहीं जागे तो स्मार्ट सिटी के अवशेष वैसे ही मुंह चिढ़ायेंगे.. जैसे मुगलों के अत्याचारी अवशेष हम सभी को आज तक भीतर से सालते रहते हैं.. जय ग्वालिपा.. जय ग्वालियर ।।
साभार–tn manish…
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Post Author: Javed Khan

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