बिना तैयारी के लॉकडाउन,जनता किसके भरोसे..

बिना तैयारी के लॉकडाउन
कोरोना से बचने के लिए देश के अधिकांश हिस्सों में लाकडाउन करना अपरिहार्य था सो किया जा रहा है ..लेकिन इसके लिए सरकार ने न कोई पूर्व तैयारी की और न जनता को आगाह किया ,नतीजा ये है कि लोगों को रोग से लड़ने के साथ-साथ अपने आप से भी लड़ना पड़ रहा है ।मुसीबत तो मध्य्प्रदेश में सबसे ज्यादा है जहां कोई सरकार वजूद में है ही नहीं ।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जब २२ मार्च को जनता कर्फ्यू का आव्हान किया था उसे लोगों ने सर माथे लिया,इतना ही नहीं तालियां और थालियां भी बजाईं लेकिन अब जब एक दिन के बजाय कई दिनों के लिए ‘लाकडाउन’ किया जा रहा है तब जनता का परेशान होना शुरू हो गया है ।’लाकडाउन’से आवश्यक सेवाओं को मुक्त रखे जाने के बावजूद जनता को रोजमर्रा की चीजों के लिए परेशान होना पड़ रहा है,यहां तक कि ग्वालियर जैसे शहर में दूध की आपूर्ति करने वाली दुकानों को भी जबरन बंद करा दिया गया है ।
अप्रत्याशित लड़ाऊं से सबसे ज्यादा  परेशानी रोज कुआं खोदकर रोज पानी भरने वालों को हो रही है।
वे बेचारे न काम पर जा पा रहे हैं और न उनके पास को दूसरा विकल्प है ।वे उधार मांगकर भी अपना काम चलने की स्थिति  में नहीं हैं ।सार्वजनिक परिवहन बाधित होने के कारण वे न अपने गाँव जा सकते हैं और न शहर में उनके पास दो जून की रोटी का कोई जुगाड़ है ।जहाँ मुफ्त  के भोजन की व्यवस्था भी थी वे केंद्र भी लाकडाउन में बंद हैं ।
महामारी से बचने के लिए अचानक लाकडाउन जितना आवश्यक है उतना ही आवश्यक आम जनता के लिए जरूरी इंतजाम करना भी है ।बेहतर हो कि प्रशासन गली-मुहल्लों में चलित वाहनों के जरिये दूध और खानपान जैसी जरूरी सामग्री का स-शुल्क वितरण प्रबंध करे ।व्यवस्थित कॉलोनियों में भी इसी तरह के प्रबंध पूरी एहतियात के साथ किये जाएँ ।
बड़े से बाड़े संकट के दौर में भी जरूरी कामों के लिए घंटे-दो घंटे की शिथिलता दी जाती है लेकिन ये एकदम अलग स्थिति है इसलिए प्रशासन को सोचना होगा कि जनता की बेहतरी के लिए क्या -कुछ हो सकता है ।लाकडाउन के चलते शहरों से ज्यादा खराब स्थिति गांवों में है ।गांवों में तो भंडारण की भी सुविधा नहीं होती ।
लाकडाउन का पालन यदि लोकदायित्व है तो इसके चलते आम आदमी की सुविधा का ख्याल रखना प्रशासनिक दायित्व।ये कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं है इसलिए प्रशासन को अपने स्तर पर सब व्यवस्थाएं चाक चौबंद करना चाहिए ।
मध्यप्रदेश में चूंकि काम चलाऊ सरकार है ..इसलिए नौकरशाही को ही अपने जौहर दिखाना चाहिए ,ये अवसर है जब नौकरशाही अपने आपको प्रमाणित कर सकती है ।,जनता तो अपनी  राष्ट्रनिष्ठा प्रमाणित कर ही चुकी है ।
@ राकेश अचल
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Post Author: Javed Khan

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