आत्म अवलोकन
भगवान बुद्ध;
हे मनुष्य तुमने अपने मन को कई खंडों में विभाजित कर लिया है । जिससे सामज में भेद उत्पन्य हो गये जिससे मन में विकारों ने जन्म ले लिया जिससे “अहंकार का बीज”एक विशालकाय व्रक्ष उत्पन्य हो गया जिससे भेद उत्पन्य हो गया,,,
भगवान बुद्ध: जब कि परमात्मा सब मे सामान रूप से प्रवाहित हो रहा है,, जब परमात्मा ने किसी जीव के सांथ भेद नही रक्खा तो हे मनुष्य तुम कौन हो भेद उत्पन्य करने वाले,,, अहंकार तो किस को जीवित नही छोड़ता, तुम जीवंत, अमर्त्य कृत्य करो जिस से हर जीव में जीवंत प्रकाश की तरह बहे,वो परमात्मा यूँ बहे जैंसे एक झरना हो जैंसे विशाल सागर अपनी बाहों में पानी के हर बून्द की किसी की परवाह किये बिना समेटे हुए होता है। सागर,सूरज,और चंद्रमा और धरती अपने अपने सहज रूप में सब को अपनी करुणा बांट रहे हैं। तुम भी ध्यान में जा कर अपने बुद्ध होने का प्रमाण दे सकते हो, अपने सहजत का प्रमाण से हजारो हजारों बुद्ध उत्पन्य कर सकते हो। तुम बस सहज और सरल हो जाओ, तुम उस परमात्मा के सहजता के स्वरूप को अंतर के आत्मा के खजाने में ढूंढो,, हर क्षण शून्यता(ध्यान)में ढूंढो तुम बुद्ध को ही पाओगे, बुद्ध को ही जिओगे,और बुद्ध को ही अमरत्व में पाओगे, जीवन की हर सांस यूँ घटे जैंसे परमात्मा ही तुम्हारे हर सांस में सहज घट रहा है। तुम छोड़ दो इस अहंकार के चोले को हे मानव तुम इस मन के चोले को न ले जा सकोगे, अंतिम क्षण अंतिम घड़ी तो सिर्फ उस परमात्मा की गोद होगी जिसमें करुणा होगी। बस तुम पात्र बन जाओ उस करुणा की जिस में तुम बुद्ध हो कर जाओ ,बुद्ध हो कर जीवो ,बुद्ध हो कर मारो,
आज बुद्ध पूर्णिमा है।
हर जीवात्मा को माँ ध्यान समर्पण
का संदेश है कि जो जीवन गया उसे सोचना छोड़ कर इसी क्षण से ,,बद्धत्व के राह ओर सत्य के राह पर कदम रखो। और जिओ,
संसार यही रहेगा पर तुम बुद्ध हो कर जाना, शुभकामना
सहजता से परमात्मा को स्वीकारो,
और जीओ,
:ध्यान समर्पण केंद्र ग्वालियर🙏🙏🙏🙏🙏
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