ग्वालियर एयर फोर्स स्टेशन पर 20 साल पुराना इतिहास फिर दोहराया गया, कारगिल युद्ध का दिया गया डेमोंसट्रेशन

ग्वालियर एयर फोर्स स्टेशन पर 20 साल पुराना इतिहास फिर दोहराया गया, कारगिल युद्ध का दिया गया डेमोंसट्रेशन

कारगिल युद्ध के 20 वे साल को विजय दिवस के रूप में एयरफोर्स जश्न मना रही है… इसी कड़ी में एयरचीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ ग्वालियर के एयरफोर्स स्टेशन आएं। जहां उन्होनें प्रेस से बात की है…. इस दौरान एयरचीफ माशर्ल बीएस धनोआ का कहा कि पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक करते हुए भारत ने अपना सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिया। लेकिन पाकिस्तान ने हमारे एयरस्पेस में घुसने की हिमाकत नहीं की। पाक के बंद एयरस्पेस पर वायुसेना चीफ ने कहा कि तनाव के बावजूद हमारा सिविल एविएशन बाधित नहीं हुआ। साथ ही उन्होंने कहा कि एएन-32 विमान की अभी पहाड़ों में उड़ान बंद नहीं होगी। इसके साथ ही एयरफोर्स चीफ से सवाल किया कि करगिल में पाकिस्तान हमारे एयरस्पेस में आने की हिम्मत नहीं कर पाया, लेकिन बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान हमारे एयरस्पेस में आया, इन 20 सालों में क्या बदल गया। इसके जवाब में एयर चीफ मार्शल धनोआ ने कहा, ‘वह हमारे एयरस्पेस में नहीं आए। यह देखना होता है कि हमारा ऑब्जेक्टिव क्या था और उनका क्या था। हमारा ऑब्जेक्टिव बालाकोट में स्ट्राइक करना था, हमने सफलतापूर्वक किया। उनका ऑब्जेक्टिव हमारी आर्मी के ठिकानों पर हमला करना था, वह नहीं कर पाए। एयरफोर्स चीफ ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में आगे कहा, ‘कितने आए कहां गए कैसे किया और किस तरह का कॉम्बैट हुआ… हमने अपना मिलिट्री ऑब्जेक्टिव अचीव किया। उन्होंने अपना ऑब्जेक्टिव अचीव नहीं किया। पर उनमें से कोई हमारे एयरस्पेस में नहीं आया। पाकिस्तान के बंद एयरस्पेस के सवाल पर एयरफोर्स चीफ धनोआ ने कहा, ‘वायुसेना को जो टास्क सरकार देती है…. हम उसके लिए हमेशा तैयार रहते हैं। पाक ने अपना एयरस्पेस बंद किया है यह उनका प्रॉब्लम है। उनकी इकॉनमी अलग है। हमारी इकॉनमी में एयरस्पेस अहम हिस्सा है। हमने सिविल ट्रैफिक को कभी बंद नहीं किया। 27 फरवरी 2019 को केवल 2-3 घंटे के लिए हमने श्रीनगर एयरस्पेस को बंद किया था। पाकिस्तान के साथ तनाव हमारे सिविल एविएशन को बाधित नहीं करता क्योंकि हमारी इकॉनमी उनसे कहीं ज्यादा बड़ी और मजबूत है। इसके साथ ही 2002 के ऑपरेशन पराक्रम पर पहली बार वायुसेना ने आधिकारिक स्वीकारोक्ति दी है। सेंट्रल एयर कमांड के सीएनसी राजेश कुमार ने कहा, ‘2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठिए केएल सेक्टर में 3-4 किलोमीटर तक अंदर घुस आए थे, जिन पर एयरफोर्स के फाइटर जेट ने बम गिराया और उन्हें भगा दिया। एयरफोर्स चीफ ने एएन-32 विमानों के मुद्दे पर कहा, ‘एएन-32 अभी पहाड़ों में उड़ते रहेंगे। हमारे पास अभी रिप्लेसमेंट नहीं है।

“हम मॉर्डन एयरक्राफ्ट लेने की प्रक्रिया में है। जब आ जाएंगे तो अहम कामों में उनका इस्तेमाल करेंगे और एएन-32 को ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल करेंगे। अभी हमारे पास चॉइस नहीं है। एएन-32 का इस्तेमाल जारी रहेगा। साथ ही ये भी कहा कि ‘पाकिस्तान कारगिल युध्द के समय भी एबनॉर्मल था, अभी भी है। “”

बीरेंद्र सिंह धनोआ, एयरचीफ मार्शल

( पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक करते हुए भारत ने अपना सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिया। लेकिन पाकिस्तान ने हमारे एयरस्पेस में घुसने की हिमाकत नहीं की। पाक के बंद एयरस्पेस पर वायुसेना चीफ ने कहा कि तनाव के बावजूद हमारा सिविल एविएशन बाधित नहीं हुआ। वायुसेना को जो टास्क सरकार देती है…. हम उसके लिए हमेशा तैयार रहते हैं। पाक ने अपना एयरस्पेस बंद किया है यह उनका प्रॉब्लम है। उनकी इकॉनमी अलग है। हमारी इकॉनमी में एयरस्पेस अहम हिस्सा है….)

राजेश कुमार, सीएनसी, सेंट्रल एयर कमांड- कारगिल युद्ध में शामिल थे- उन्होंने कहा कि ( ‘2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठिए केएल सेक्टर में 3-4 किलोमीटर तक अंदर घुस आए थे, जिन पर एयरफोर्स के फाइटर जेट ने बम गिराया और उन्हें गिरा दिया…)

इससे पहले कारगिल दिवस के 20 साल पूरे होने पर ग्वालियर के महाराजपुरा स्थित एयर फोर्स स्टेशन पर कारगिल युद्ध का रीक्रिएशन किया गया और बाकायदा टाइगर पहाड़ी पर भारतीय वायु सेना के जवानों ने तिरंगा झंडा फहराकर अपनी विजय हासिल की ।
इस अवसर पर लड़ाकू विमानों मिराज, मिग 21और सुखोई विमानों का प्रदर्शन भी किया गया ।
इस प्रदर्शन में एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ एवं एयरफोर्स के आला अधिकारी भी मौजूद थे ।साथ ही कारगिल दिवस में बताया गया कि कारगिल पहाड़ी पर दुश्मन पर किस तरह हमला कर उसे नेस्तनाबूद किया गया ,और किस तरह से विजय हासिल की गई थी और क्या रणनीति अपनाई गई थी ।
कमेंट्री के माध्यम से पूरा इतिहास बताया गया और कारगिल विजय दिवस की पूरी दास्तान लड़ाकू विमानों की आवाजों के बीच रोमांचक अंदाज में सुनाई गई.

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