आयुष्मान भारत योजना में ग्वालियर अन्य शहरों की तुलना में पिछड़ा
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत में ग्वालियर की स्थिति पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा दयनीय है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव के निर्देश पर सोमवार को इसकी हकीकत जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव सोमेश मिश्रा और आयुष्मान भारत योजना के प्रदेश के नोडल अधिकारी प्रमोद कुमार वर्मा ने सोमवार को मेडिकल कॉलेज और जयारोग्य अस्पताल का निरीक्षण किया। दोनों अधिकारियों ने कहा है कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन 1 सप्ताह के भीतर इस योजना के पिछड़ने के पीछे की कमियों को दूर कर संबंधित लोगों के प्रशिक्षण की व्यवस्था कराए।
.दरअसल केंद्र सरकार ने गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की है
जिसके तहत दो लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज अधिकृत अस्पताल में किया जाता है। बड़ी संख्या में लोगों के कार्ड भी बनाए गए हैं लेकिन इसके बावजूद ग्वालियर में इस योजना के लाभान्वितों की संख्या बेहद कम है। 1 महीने में सिर्फ 1304 मरीजों ने ही इस योजना का लाभ लिया है। जबकि रीवा जैसे छोटे शहर में लाभान्वितो की संख्या साढे चार हजार से ज्यादा है ।इंदौर में यह आंकड़ा साढे पांच हजार से ज्यादा है ।उत्तरी मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से ग्वालियर बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बावजूद इसके आयुष्मान योजना के लाभान्वितो की संख्या कम होने के पीछे के कारण जानने के लिए अधिकारियों ने सोमवार को मेडिसिन, विभाग सर्जरी विभाग प्रसूति विभाग में भर्ती मरीजों से चर्चा की और इस योजना के बारे में मरीजों से जानकारी हासिल की। अधिकारियों ने पाया कि आयुष्मान मित्र, उसकी ओपीडी और मेडिकल प्रबंधन के बीच तालमेल की कमी है ।इसलिए 1 सप्ताह में प्रशिक्षण आयोजित करने के निर्देश मेडिकल कॉलेज के डीन को दिए गए हैं। इसके अलावा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल अगले महीने यानी सितंबर के मध्य तक पूरी तरह से तैयार हो जाए ।इसके लिए दोनों एजेंसियों हाइट्स और एचएससीसी के अधिकारियों के बीच बैठक लेकर उन्हें समय सीमा में काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। वही क्षय रोग विभाग की जिम्मेवारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन 1 सितंबर से पहले पूरी तरह से अपने हाथ में ले ,यह भी निर्देश अफसरों ने प्रबंधन को दिए हैं।
बातचीत स्रोत
-सोमेश मिश्रा, उपसचिव स्वास्थ्य भोपाल