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पीसीपीएनडीटी एक्ट में 10 साल पहले किए गए स्टिंग ऑपरेशन में दोषी ग्वालियर के तीन डॉक्टरों को तीन-तीन साल की सजा..
ग्वालियर..करीब 10 साल पहले दिल्ली की एक सामाजिक संस्था बेटी बचाओ समिति द्वारा ग्वालियर के चार डॉक्टरों के क्लीनिक पर किए गए स्टिंग ऑपरेशन को लेकर सीएमएचओ की ओर से दायर परिवाद में सोमवार को तीन डॉक्टरों को तीन-तीन साल की सजा दंडित किया है ।उनपर पर तीन-तीन हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है।
कोर्ट ने इन तीनों को प्रसव पूर्व निदान तकनीक एक्ट के दुरुपयोग का दोषी पाया है। दरअसल 4 मई 2009 में दिल्ली की संस्था बेटी बचाओ समिति के सदस्यों ने ग्वालियर के डॉ एसके श्रीवास्तव डा सुषमा त्रिवेदी डॉक्टर संध्या तिवारी और डॉक्टर प्रदीप सक्सेना के क्लीनिक पर यह स्टिंग ऑपरेशन किया था। जिसमें यह डॉक्टर मात्र ढाई से 3 हजार रुपए के लिए पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन करने के लिए तैयार हो गए थे।संस्था के सदस्यों ने इसकी वीडियोग्राफी की थी और स्टिंग की सीडी कलेक्टर को सौंपी थी। तत्कालीन कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के जरिए चारों चिकित्सकों के खिलाफ जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया था।
जिसमें उन्हें प्रसव पूर्व निदान तकनीक के उल्लंघन का आरोपी बताया गया था। सभी डॉक्टरों के खिलाफ जेएमएफसी कोर्ट प्राची पटेल के यहां परिवाद प्रचलित था। खास बात यह है कि दोषी पाए गए डॉक्टरों में एक डॉक्टर एस के श्रीवास्तव होम्योपैथिक डॉक्टर है। जबकि डॉक्टर सुषमा त्रिवेदी और डॉक्टर संध्या तिवारी गायकोनोलाजिस्ट हैं और नर्सिंग होम चलाती हैं। इनमें डॉ श्रीवास्तव और डॉक्टर संध्या तिवारी के खिलाफ नर्सिंग होम एक्ट के तहत भी कार्रवाई की गई है। पंजीयन नहीं होने पर उन पर पांच पांच हजार रुपए का अतिरिक्त अर्थदंड लगाया है। श्रीवास्तव का हुरावली पर क्लीनिक है जबकि संध्या तिवारी का दर्पण कॉलोनी और सुषमा त्रिवेदी का नई सड़क पर नर्सिंग होम हैं।
बातचीत स्रोत..
-रितेश गोयल,शासकीय अधिवक्ता जिला न्यायालय ग्वालियर