खुशियों की दास्तां …
अनुकरणीय पहल..
बच्चों को हँसता-खेलता देखने से मिलती है खुशी..
ग्वालियर / बच्चे भगवान का रूप होते हैं। बच्चों को हँसता-खेलता देखने पर बड़े से बड़ा दु:ख भी छोटा हो जाता है। बच्चों की परवरिश माँ-बाप पूरे मनोयोग और अपनी सामर्थ्य से बढ़कर करते हैं। जिन बच्चों के माँ-बाप नहीं होते उनके लालन-पालन की जवाबदारी सरकार उठाती है और इस कार्य में कई सामाजिक संस्थाएँ भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर बच्चों के जीवन को संवारने की की दिशा में कदम बढ़ाती हैं।
ग्वालियर की अशासकीय संस्था ज्ना सामाजिक स्वास्थ्य संघ भी 8 बच्चियों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी का निर्वहन कर समाज को एक नया संदेश देने का कार्य कर रही है।
जिले के पालक पोषण हेतु बालकों को अपने संरक्षण में लेने हेतु कई परिवार व समाजसेवी संस्थायें आगे आई हैं।
इसी क्रम में शासकीय संस्था ज्योति भावना सामाजिक संघ द्वारा भी महिला एवं बाल विकास विभाग में पालक-पोषण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया। विभाग की ओर से सम्पूर्ण जाँच के पश्चात संस्था के कार्यों को उपयुक्त पाकर उनके संरक्षण में 8 बालिकाओं को रखा गया।
संस्था के माध्यम से निवासरत 8 बालिकाओं को न केवल बेहतर ढंग से रखा जा रहा है, बल्कि उन्हें अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाया भी जा रहा है। इनमें से दो बालिकाओं को केन्द्रीय विद्यालय में अध्ययन कराया जा रहा है। इन बच्चियों को ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा भी मुहैया कराई गई है।
संस्था के माध्यम से बालिकाओं को न केवल शिक्षा बल्कि नृत्य, हस्तकला, पेंटिंग और कम्प्यूटर का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा भी बालिकाओं का नियमित रूप से फोलो भी किया जा रहा है। संस्था को ग्रुप फॉस्टर केयर हेतु 2 हजार रूपए के मान से वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी राजीव सिंह का कहना है कि जिले में सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से बालक और बालिकाओ के संरक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया जा रहा है। जयोति भावना सामाजिक स्वास्थ्य संघ के सभी पदाधिकारी भी बच्चियों के पालन-पोषण और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं। इस प्रकार की संस्थाओं को शासन-प्रशासन की ओर से भी हर प्रकार का सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
मधु सोलापुरकर
सहायक संचालक, ग्वालियर