चम्बल में सफेद दूध का काला कारोबार चरम पर है। जहरीला केमिकल युक्त ये सफेद जहर कई जान लेवा बीमारियों को जन्म देता है। हजारों लीटर जहरीला यह केमिकल युक्त सफेद जहर जिसे लोग दूध समझकर पी रहे है। वास्तविकता में यह सिर्फ जहर है। दूध का उत्पादन कम है और खपत ज्यादा है इसीलिए मिलावटखोरों ने अपने मुनाफे के लिए यह जहर लोगो को परोसना शुरू कर दिया। ऐसा भी नही की खाद्य महकमे को इसकी जानकारी नही है लेकिन वह भी अपने मुनाफे के चक्कर मे धृतराष्ट्र बना बैठा है। त्योहारों के अवसर पर सिर्फ जांच के नाम पर खाना पूर्ति की जाती रही है।
विगत दो सालों का रिकॉर्ड उठाया जाए तो चम्बल में सबसे ज्यादा मिलावतखोर पकड़े गए है। कई लोगो पर रासुका भी लगाई गई है लेकिन फिर भी सफेद दूध का यह काला कारोबार बन्द नही हो पा रहा।
कांग्रेस सरकार द्वारा चलाया गया मिलावट के खिलाफ युद्ध को लोगो ने काफी सराहा और मिलावटखोरों पर नकेल भी कसी गई। लेकिन सरकार के जाते ही फिर से मिलावटखोर सक्रिय हो गये। चम्बल में सफेद दूध के काले कारोबार से माफिया हजारों करोड़ कमाते है।
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