ब कलम –यथावत /कोरोना व्यवस्था/ चिट्ठी पत्रिओं का दौर और राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के फैसलों पर जनता की उम्मीदें…

(टी.एन. मनीष, वरिष्ठ पत्रकार)
ये पत्र कोई पहली ऐसी चिट्ठी नहीं है  जिसमें व्यवस्था की अंत्येष्टि पर किसी जनप्रतिनिधि ने लिखित नाराजगी जताई हो इससे पहले भी कांग्रेस विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह ने कलेक्टर के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को  फोन नहीं उठाने की लिखित शिकायत की थी तो अब ज़मीनी नेता मुन्नालाल गोयल ने कोविड प्रभारी और कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खिलाफ लिखित सियासत छेड़ दी है दरअसल प्रद्युम्न अपने उन कारनामों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं जिन कारनामों से जनता का भला हो या ना हो लेकिन नेताजी को अपने दिखास और छपास के रोग को मिटाने का पूरा मौक़ा मिल जाता हैं।  उनके इसी रोग को पूर्व विधायक और उनके मित्र मुन्नालाल गोयल ने अपनी चिट्ठी में यह लिखकर उकेरा है कि मंत्री जी  सैनिटाइजेशन का काम नगर निगम को करने दीजिए आप व्यवस्था ठीक करने पर अपना ध्यान दीजिए।
इस चिट्ठी ने सरकारी ढर्रे पर ग्वालियर में सिसक-सिसक कर दम तोड़ती..कराहती..कसमसाती.. आम मरीज़ों पर काल बनती इक अदद उस व्यवस्था को हक़ीक़त का आईना भी दिखाया हैं.. जिसे हमारा महान लोकतंत्र नागरिकों के मूलभूत अधिकारों में स्वास्थ्य सेवाएं के नाम से जानता है… संवेदना की धड़कनों की शपथ से जुड़ा ये महकमा महामारी के दौरान पत्थर वाली बिल्डिंग के भीतर हर दिन परीक्षा की घड़ी में हर उस पर्चे को फाड़कर फेंक रहा है..जो अपनी सांसों की डगमग होती ड़ोर पर सिस्टम से ज़िंदगी लिखने की भीख मांग रहा है।कोविड प्रभारी मंत्री जी अपनी विधानसभा की बुनियादी व्यवस्था से ऊपर नहीं उठना चाहते।
विपरीत विचारधारा के बावजूद सियासत के अवसर ने यदि प्रद्युम्न सिंह तोमर को भगवा दुपट्टा पहना दिया है तो भगवा धारियों में उनके खिलाफ मोर्चाबंदी वाले  नेताओं को आपदा में सियासत का अवसर भी खुल कर दिया और इन सभी ने कोरोना में भटकते आम आदमी की बदहाली के लिये कोविड प्रभारी मंत्री पर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ ड़ाला..प्रशासन लगातार मंत्री जी के साथ  कहीं ऑक्सीजन.. तो कही रेमिडेसिवर.. तो कहीं वेंटिलेटर..तो कहीं अस्पतालों में मरीजों के बिस्तरों की.. नाकाम होती व्यवस्था को पटरी पर लाने में जुटने का दावा दिखावा कर रहा है..लेकिन व्यवस्था है.. कि जैसे उसने  बेपटरी होने की कसम खा रखी हैं.. और ग्वालियर में कोरोना के हर दिन हज़ार पार मरीज़ों की संख्या.. बिना टूटे अपनी एकता दिखा रही है..अब इस चेन को तोड़ने में माइक्रो कंटेन्मेंट ज़ोन यानी चयनित कॉलोनीज़ के हर घर को जेल में तब्दील करने का तुग़लक़ी फ़रमान लागू कर दिया गया है।  
डीएम साहब आपके इस फैसले का हम पूरा स्वागत करते हैं..लेकिन आपके फरमान में ऐसे सूक्ष्म बंदी वाले इलाकों में बीमारी से परेशान.. डॉक्टर से हलाकान… दवाई को लेकर हैरान.. पूरा परिवार कोविड पॉजिटिव सहायता करने वाला कोई नहीं..घर में दो बुजुर्ग.. दोनों उस नौकरानी के भरोसे.. जो उन्हें दो रोटी खिलाएं ..ताकि उनकी सांसे चलती रहे ..और बच्चे अपने भविष्य के लिए.. या तो देश के महानगरों में या विदेशों में बसे हुए हो… दुर्भाग्य से ऐसे इलाके..आपकी सूक्ष्म निगाहों के हत्थे चढ़ चुके है ..और वहां खाकी ने अपना पहरा ऐसा सख्त कर दिया हो…जैसे कॉलोनी के अंदर सभ्य नागरिक नहीं.. आतंकवादी बस रहे हैं…एक नहीं..ऐसे अनेक हालात की मार झेलते नागरिक हैं..जो असमंजस का शिकार हैं क्योंकि आपके अति शिक्षित वर्दीधारी पेहरेदार उनका मौलिक और संवैधानिक अधिकार कोविड की आड में छीन रहे हैं।
आपने ऐसे परेशान माइक्रो कंटेन्मेंट के निवासियों के लिए असलियत में प्रमाणिक होने पर कितनी और कैसी रियायत हैं जारी की है.. इसकी कोई स्पष्टता..आपके फरमान में नज़र नहींआती.. और खास बात आपके आदेश पर..जो पुलिस कॉलोनियों को जेल बना चुकी है..उसने ऊपर लिखे परेशानी से घिरे..एक भी व्यक्ति को रियायत नहीं दी …तो कृपया स्पष्ट करें कि नागरिकों की जान की सुरक्षा के नाम पर आपने यह कौन सा आपातकाल लगाया है..जिसकी चपेट में आकर कोई बीमार दवा और उपचार के अभाव में यदि खाकी की नासमझी के बीच दम तोड़ेगा… तो ऐसे हालात में जिम्मेदारी आप अपने सिर लेंगे या फिर बैरिकेड लगाकर सभी लोगों के साथ अभद्रता कर रहे खाकी के कर्तव्यनिष्ठ मैदानी अमले के सर पर।
जिले के मुखिया जी आप से ग्वालियर ये भी पूछना चाहता है कि आपकी सूक्ष्म दृष्टि आपदा में अवसर भुनाते धन पिशाचों पर कब कहर बरपाने वाली हैं.. कब हम आपके कुशल प्रशासन में इलाज के अभाव में किसी को भी मरते नहीं देखेंगे..बेरोज़गारी.. बीमारी.. महामारी.. छिनती दुकानदारी की मार झेल रहा ग्वालियर का आम नागरिक आपसे इन सभी सवालों का उचित तथ्यात्मक और समाधान कारक जवाब चाहता है… क्योंकि आप लोक सेवक हैं.. और हम आपकी जनता उम्मीद है आपकी संवेदना जागृत होगी और आप माइक्रो कंटेनमेंट के इलाकों में बुनियादी सुविधा के साथ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों पर कानून और व्यवस्था को मजाक बनते देखने की आधी खाकी को समय रहते अपने स्पष्ट दिशा निर्देश जरूर देंगे इसी आशा और विश्वास के साथ जय ग्वालिपा.. जय ग्वालियर।
साभार….
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